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UP Politics: ‘कहीं नाम के प्रति नाराजगी लाखों का काम न बिगाड़ दे’, भाजपा सांसद वरुण गांधी ने अपनी ही सरकार पर बोला हमला, संजय गांधी अस्पताल सील किए जाने पर कही बड़ी बात

Pilibhit: भाजपा सांसद ने कहा है, “सवाल संजय गांधी अस्पताल के 450 कर्मचारियों और उनके परिवार का ही नहीं, रोज सैकड़ों की संख्या में इलाज कराने वाले सूबे की आम जनता का भी है.”

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वरुण गांधी (फोटो सोशल मीडिया)

UP Politics: अक्सर अपनी ही सरकार के खिलाफ बयान दे कर चर्चा में बने रहने वाले पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर से अपनी ही सरकार के खिलाफ हमला बोला है और योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि, “कहीं नाम के प्रति नाराजगी लाखों का काम न बिगाड़ दे.” दरअसल उन्होंने अमेठी के संजय गांधी अस्पताल को सील किए जाने को लेकर ये बयान दिया है. इस सम्बंध में उन्होंने ट्विटर के जरिए भी योगी सरकार पर निशाना साधा है और भाजपा सरकार पर ‘व्यवस्था का अहंकार ‘ दिखाने का आरोप लगाया.

वरुण गांधी ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, “सवाल संजय गांधी अस्पताल के 450 कर्मचारियों और उनके परिवार का ही नहीं, रोज सैकड़ों की संख्या में इलाज कराने वाले सूबे की आम जनता का भी है. इसी के साथ आगे उन्होंने प्रदेश की योगी सरकार पर हमला बोलते हुए लिखा है, “उनकी पीड़ा के साथ न्याय ‘मानवता की दृष्टि’ ही कर सकती है, ‘व्यवस्था का अहंकार’ नहीं. इसी के ट्वीट में आगे लिखा है, “कहीं ‘नाम’ के प्रति नाराजगी लाखों का ‘काम’ न बिगाड़ दे.” बता दें कि इस पोस्ट से पहले सांसद वरुण गांधी ने कहा था कि, व्यापक और निष्पक्ष जांच के बिना अमेठी के संजय गांधी अस्पताल का परिचालन लाइसेंस निलंबित कर दिया गया. इस पर उन्होंने 22 सितंबर को उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को पत्र भी लिखकर गहरी नाराजगी जताई थी.

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की गई है अन्यायपूर्ण कार्रवाई

इस पत्र में भाजपा सांसद ने अपनी ही सरकार की मंशा पर सवाल उठाया था और लिखा था कि, “स्पष्टीकरण का कोई अवसर दिए बिना अस्पताल के लाइसेंस को एकतरफा तौर निलंबित करना चिंता पैदा करता है. यह निर्णय स्वास्थ्य देखभाल पहुंच, आजीविका और शैक्षिक निरंतरता को प्रभावित करता है.” इसी के साथ ही इस पत्र में ये भी लिखा गया कि,” कथित चिकित्सीय लापरवाही से जुड़ी हालिया घटना की गंभीरता को स्वीकार करते हुए इस मामले को आनुपातिकता और निष्पक्षता की भावना से देखना आवश्यक है.” इसी पत्र में आगे उन्होंने ये भी लिखा कि,”स्वामित्व जैसे मुद्दे की अनदेखी के साथ किसी भी स्वास्थ्य सुविधा में दुखद घटनाएं सामने आ सकती हैं. व्यापक और निष्पक्ष जांच की अनुमति दिए बिना पूरे अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करना जल्दबाजी और अन्यायपूर्ण कार्रवाई प्रतीत होती है.”

-भारत एक्सप्रेस

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