फिर सवालों में ममता सरकार
पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार का विवादों से चोली-दामन का साथ रहा है.वैसे भी पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा वहां के कल्चर का हिस्सा बन चुका है.एक बार फिर ममता बनर्जी सरकार सवालों के घेरे में है.ताजा घटनाक्रम एक मार्क्सवादी साहित्य स्टॉल का है.इस स्टॉल पर हमले के बाद से राज्य सरकार बुद्धिजीवियों के निशाने पर आ गयी.
सरकार के खिलाफ नारेबाजी
घटनाक्रम के मुताबिक CPM के कई वरिष्ठ नेता दक्षिण कोलकाता के रासबिहारी एवेन्यू चौराहे पर एक पूजा पंडाल के पास एक अस्थायी मार्क्सवादी साहित्य स्टॉल पर थे और सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे, उस दौरान कथित तौर पर सत्तारूढ़ दल TMC के कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला कर दिया.पुलिस ने हस्तक्षेप किया और पार्टी के राज्यसभा सदस्य बिकाश रंजन भट्टाचार्य, CPM के राज्य सचिवालय के सदस्य कल्लोल मजूमदार और लोकप्रिय फिल्म निर्देशक और पार्टी के हमदर्द कमलेश्वर मुखर्जी जैसे वरिष्ठ CPM नेताओं को गिरफ्तार कर लिया. मुखर्जी शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक भी हैं. हालांकि उन्हें देर शाम रिहा कर दिया गया.
ममता सरकार को किसका डर?
मार्क्सवादी साहित्य के स्टॉल पर हमले के साथ-साथ शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भाग लेने वाले नेताओं की गिरफ्तारी के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को बुद्धिजीवियों और नागरिक समाज के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है.इस बारे में मशहूर फिल्म निर्देशक कौशिक गांगुली ने कमलेश्वर मुखर्जी के साथ एकजुटता जताते हुए कहा कि गिरफ्तारी से मुखर्जी को कोई नुकसान नहीं हुआ है. प्रसिद्ध बंगाली जासूसी किरदार ब्योमकेश बख्शी के रूप में अपनी भूमिकाओं के लिए जाने जाने वाले प्रसिद्ध अभिनेता अबीर चटर्जी ने भी विरोध का हिस्सा बनने और गिरफ्तारी को स्वीकार करने के लिए मुखर्जी की सराहना की. उन्होंने कहा, “हम आपसे प्यार करते हैं कमल दा और हमें आप पर गर्व है.”फिल्म निर्देशक श्रीजीत मुखर्जी ने एक कदम आगे बढ़कर बुक स्टॉल पर हुए हमले पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “वे किससे डरते हैं? किताबों से? इन गिरफ्तारियों की निंदा करने के लिए मेरे पास पर्याप्त शब्द नहीं हैं. हम कमल दा के साथ हैं.”
आईएनएस/भारत एक्सप्रेस
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