भाजपा में शामिल होने के दौरान दारा सिंह चौहान
यू तो दारा सिंह चौहान की बिरादरी ने हर बार चुनाव दर चुनाव दारा का साथ दिया है पर 5 सितंबर को होने वाले उपचुनाव में दारा सिंह की साख संकट में है और संकट का कारण मायावती और मुस्लिम मतदाता है. गौरतलब है कि 2022 विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी वसीम इकबाल को 54 हजार से अधिक वोट मिले थे जो की घोसी विधानसभा सीट के कुल वोटर्स का 22% के आसपास है दारा सिंह के लिए संकट का सबब हो सकता है. वहीं दूसरा संकट मुस्लिम मतदाता है जिनकी संख्या घोसी विधानसभा सीट में लगभग 86 हजार के आसपास है. यह दोनों वोटरो का समीकरण दारा सिंह चौहान के लिए निर्णायक साबित हो सकता है.
दूसरी तरफ सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह जो तीसरी बार चुनावी मैदान में है, समाजवादी पार्टी के कोर मतदाता यादव वोटर घोसी विधानसभा सीट पर लगभग 57 हजार की संख्या में है जो कि दारा सिंह के लिए एक और संकट है. इसके इतर कई स्तरों पर राजनीतिक रूप से दारा सिंह की लोकप्रियता में काफी कमी भी आई है. भाजपा में मंत्री के तौर पर रहने के बाद समाजवादी पार्टी में शामिल होना और दोबारा भाजपा में आने से घोसी विधानसभा सीट के वोटर्स के मन मे दारा सिंह के लिए सवालिया निशान खड़े हो चुके हैं. ऐसे में राजनीतिक लोकप्रियता में जहां दारा सिंह को धक्का लगा ही है वही वोटो का समीकरण भी दारा सिंह के लिए चिंता का सबक बना हुआ है.
घोसी विधानसभा सीट का समीकरण
कुल मतदाता 4024763
पुरुष मतदाता 228859
महिला मतदाता 194094
जाति मतदाता
मुस्लिम 86 हजार
दलित 71 हजार
यादव 57 हजार
राजभर 52 हजार
क्षत्रिय 46 हजार
राजपूत 16 हजार
निषाद 13 हजार
मौर्य 10 हजार
भूमिहार 9 हजार
ब्राह्मण 8 हजार
वैश्य 7 हजार
साहू 7 हजार
विश्वकर्मा 6 हजार
अन्य 25 हजार
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हालांकि दारा सिंह चौहान घोसी विधानसभा सीट पर कई बार जीत हासिल कर चुके हैं, जिस वजह से घोसी विधानसभा सीट पर दारा सिंह चौहान की मजबूत पकड़ है जिसके आधार पर ही भारतीय जनता पार्टी ने दारा सिंह को घोसी विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. लेकिन कई राजनीतिक उठा पटक के बीच में दारा सिंह की लोकप्रियता, पार्टीयो के कोर वोटर की रणनीति और कांग्रेस का सपा को समर्थन दारा सिंह पर इस बार भारी पड़ सकता है, हालांकि देखने वाली बात यह होगी कि दारा सिंह इसे किस तरीके से पार पाते हैं, लेकिन इस बार का उप चुनाव दारा सिंह के लिए काफी निर्णायक साबित हो सकता है.
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