दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से देश भर में राजमार्गों पर कथित अनुचित टोल शुल्क वसूली और टोल प्लाजा स्थापित करने के मुद्दे को उठाने वाले प्रतिवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है.
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने इस मुद्दे पर दायर जनहित याचिका का निपटारा करते हुए यह निर्देश दिया. पीठ ने याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के भीतर NHAI के समक्ष एक व्यापक प्रतिवेदन दाखिल करने की अनुमति दी.
पीठ ने कहा कि अधिकारियों को कानून के अनुसार चार सप्ताह के भीतर प्रतिवेदन का निपटारा करना चाहिए. याचिकाकर्ता आनंद मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियमों के अनुसार, NHAI को राजमार्ग के अर्ध-निर्मित हिस्से पर टोल वसूलने से स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित किया गया है और टोल शुल्क प्लाजा 60 किलोमीटर के भीतर स्थापित नहीं किए जा सकते हैं.
याचिका में कहा गया कि NHAI ने राजमार्गों पर यात्रियों से अनुचित टोल लगाकर अनुचित धन एकत्र किया है और अभी भी एकत्र कर रहा है. याचिकाकर्ता ने NHAI को राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 के नियम 3(2) और 8(2) का पूरे भारत में तत्काल प्रभाव से अनुपालन करने का निर्देश देने की मांग की.
याचिका में NHAI को इन नियमों का कथित रूप से उल्लंघन करके अब तक एकत्र किए गए टोल शुल्क की राशि की गणना करने के लिए सर्वेक्षण करने और एक समिति बनाने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए अदालत से निर्देश देने की भी मांग की गई कि एकत्र की गई राशि तुरंत वापस की जाए.
नियम 3(2) के अनुसार सार्वजनिक वित्त पोषित परियोजना के माध्यम से निर्मित राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थायी पुल, बाईपास या सुरंग के खंड के पूरा होने की तिथि से 45 दिनों के भीतर शुल्क संग्रह शुरू किया जाना चाहिए. दूसरी ओर, नियम 8(2) में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग के उसी खंड पर और उसी दिशा में 60 किलोमीटर के भीतर कोई अन्य टोल प्लाजा स्थापित नहीं किया जाएगा. याचिकाकर्ता ने अगस्त में अधिकारियों को एक अभ्यावेदन देने के बारे में अदालत को सूचित किया था, लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं की गई.
-भारत एक्सप्रेस