Dual Citizenship In Indian Constitution: प्रवासी भारतीयों को दोहरी नागरिकता देने की मांग वाली याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि यह मुद्दा संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है. इस पर निर्णय लेना या निर्देश पारित करना अदालत का काम नहीं है.
दोहरी नागरिकता देने की मांग करते हुए प्रवासी लीगल सेल नामक संगठन ने याचिका दाखिल की थी. उसने कहा था कि मौजूदा भारतीय कानून के तहत कोई किसी दूसरे देश का पासपोर्ट रखता है तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वत: ही समाप्त हो जाएगी. याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ से कहा कि हाल ही में केंद्रीय विदेश मंत्री ने कहा था कि दोहरी नागरिकता एक बहस का मुद्दा है. इसपर पीठ ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 (किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से प्राप्त करने वाले व्यक्ति का नागरिक न होना) तथा नागरिकता अधिनियम की धारा 9 (नागरिकता की समाप्ति) के कारण उसके हाथ बंधे हुए हैं. वस्तुत: यह निषेध है.
पीठ ने कहा कि हम संसद से इस पर निर्णय लेने के लिए नहीं कह सकते. उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा देखनी होगी..इसके व्यापक प्रभाव हैं. साथ ही कहा कि इस मुद्दे पर भारत की संसद विचार कर सकती है, कोई और नहीं. उसने कहा कि संसद सत्र में है। हमें यह मत बताइए कि ऐसा कोई तंत्र नहीं है, जहां आप सांसद के माध्यम से इस मुद्दे को नहीं उठा सकते. पीठ ने कहा कि मंत्री ने कहा है कि वे इस मामले से अवगत हैं, उन्हें निर्णय लेने दीजिए। उसने इसके साथ ही याचिकाकर्ता को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और उसे खारिज कर दिया.
याचिका में कहा गया था कि दोहरी नागरिकता देने से भारत में निवेश, व्यापार, पर्यटन, परोपकारी गतिविधियों, शिक्षा और कला के लिए प्रवासी भारतीयों से काफी योगदान मिलेगा. पिछले साल अगस्त में याचिकाकर्ता संगठन ने भी इसी तरह की राहत की मांग करते हुए अधिकारियों को एक अभ्यावेदन लिखा था. याचिका में वैकल्पिक रूप से अधिकारियों को उक्त अभ्यावेदन पर विचार करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
— भारत एक्सप्रेस
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