दिल्ली हाई कोर्ट ने 2011 के दुष्कर्म के प्रयास के आरोपी को बरी किए जाने को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने सुनवाई के दौरान स्वीकार किया था कि उसने झूठा मामला दायर किया था.
जस्टिस अमित महाजन ने अभियोजन पक्ष की तत्परता के महत्व को जोर दिया और तुच्छ मुकदमेबाजी के माध्यम से कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग की निंदा की. अदालत ने बरी किए जाने के खिलाफ अपील करने की अनुमति मांगने वाली दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि अभियोजन पक्ष और दिल्ली सरकार के विधि एवं विधायी मामलों के विभाग को मामले शुरू करने में अधिक सतर्क रहना चाहिए.
अदालत ने जोर देकर कहा कि यह जरूरी है कि अभियोजन और कानूनी विभाग न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने और वैध शिकायतों वाले लोगों के लिए समय पर न्याय सुनिश्चित करने के लिए मामले शुरू करने से पहले उचित परिश्रम करें.
इस मामले में एक युवती ने अपने मकान मालिक के बेटे के खिलाफ आरोप लगाया था, जिसमें उसने मार्च 2011 में अपने भवन की छत पर उसके साथ दुष्कर्म करने का प्रयास करने का आरोप लगाया था, जब उसके माता-पिता काम पर गए हुए थे.
युवती ने दावा किया कि जब वह छत से गद्दा उठा रही थी, तब आरोपी ने उसे पकड़ लिया और पास की झोपड़ी में उसके साथ मारपीट करने का प्रयास किया. मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 15 गवाह पेश किए. हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने अभियोक्ता की गवाही में कई विसंगतियां पाई. मामले की सुनवाई के दौरान उसने स्वीकार किया कि उसके परिवार का किराए को लेकर आरोपी के साथ विवाद था और यह कि उसने उस संघर्ष के परिणामस्वरूप मामला दायर किया था.
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-भारत एक्सप्रेस
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