राजस्थान कन्हैया लाल की मॉब लिंचिंग मामला
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी राज्य सरकारों से कहा कि मॉब लिंचिंग मामला धर्म या जाति के बारे में नहीं है. यह उस समग्र मुद्दे के बारे में होना चाहिए, जो प्रचलित है. सर्वोच्च अदालत ने पूछा कि राजस्थान के उस दर्जी कन्हैया लाल के मामले में क्या हुआ? जिसे पीट-पीटकर मार डाला गया.
सुप्रीम कोर्ट की अदालत ने क्या कहा?
जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष वकील निज़ाम पाशा ने दलील दी तहसीन पूनावाला फैसले का कैसे उल्लंघन किया जा रहा है. कृपया छत्तीसगढ़ की घटना देखें और कैसे एक आदमी की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई. राज्य सरकार के हलफनामे से पता चलता है कि यह मॉब लिंचिंग नहीं, बल्कि एक सामान्य हाथापाई थी. समाचार रिपोर्टों से पता चलता है कि यह कथित गोमांस परिवहन के कारण भीड़ द्वारा हत्या थी. अगर राज्य घटना से ही इनकार कर देगा तो फैसले का पालन कैसे होगा?
जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि उन 10-12 लोगों के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं, जिन्होंने दोनों के खिलाफ मारपीट की? जवाब में राज्य के वकील ने कहा कि हम इस पर गौर करेंगे. बेंच में शामिल जस्टिस राजेश बिंदल ने कहा कि बिना केमिकल रिपोर्ट के गोरक्षा कानून कैसे लगाया जा सकता है?जवाब में राज्य के वकील ने कहा कि वह रिपोर्ट थोड़ी देर बाद आती है.
हरियाणा की घटना का जिक्र
वकील पाशा ने कहा कि हरियाणा की घटना के साथ भी ऐसा ही है. मॉब लिंचिंग के दौरान क्या किया जाना चाहिए, सबसे अच्छा तरीका यह है कि इस बात से इनकार किया जाए कि यह मॉब लिंचिंग है ही नहीं. वही हो रहा है. केवल मध्य प्रदेश और हरियाणा ने नोटिस का जवाब दिया. इस पर बेंच ने कहा कि राज्यों से अपेक्षा थी कि वे कम से कम इस बात का जवाब दें कि ऐसे मामलों में क्या कार्रवाई की गई है. हम उन सभी राज्यों को छह सप्ताह का समय देते हैं, जिन्होंने जवाब दाखिल नहीं किया है और ऐसे मामलों में उनके द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण भी दें.
बेंच ने पूछा- कन्हैया लाल के मामले में क्या?
बेंच ने पूछा कि राजस्थान के उस दर्जी कन्हैया लाल के मामले में क्या हुआ. जिसे पीट-पीटकर मार डाला गया. तब वकील पाशा ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह शामिल है. इस पर बेंच ने कहा कि आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि यदि सभी राज्य इसमें शामिल हैं तो यह बिल्कुल भी चयनात्मक नहीं है.
…सिर्फ मुसलमानों की मॉब लिंचिंग
बेंच से वरिष्ठ वकील अर्चना पाठक दवे ने कहा कि यह सिर्फ मुसलमानों की मॉब लिंचिंग है. तब सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि हम जो कहते हैं उसके आधार पर दलीलें न दें. हम स्पष्ट कर रहे हैं कि यह धर्म या जाति के बारे में नहीं है. यह उस समग्र मुद्दे के बारे में होना चाहिए, जो प्रचलित है. जवाब में वकील पाठक दवे ने कहा कि सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ मॉब लिंचिंग है. इस पर पाशा ने कहा कि यह तथ्यामक बयान है, बस इतना ही. इस पर जस्टिस बीआर गवई ने ताकिद किया कि आप अदालत में जो कुछ भी प्रस्तुत कर रहे हैं उससे सावधान रहें.
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.