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यूपी में डॉक्टरों की नहीं चलेगी मनमर्जी, सरकारी अस्पताल में बिना सूचना दिए गायब होना पड़ सकता है भारी

सांकेतिक तस्वीर

यूपी के सरकारी अस्पतालों में अब डॉक्टरों पर नकेल कसने की तैयारी चल रही हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि जुलाई में एक पड़ताल की गई थी जिसमें ये पता चला था कि करीब 30 फीसदी से ज्यादा डॉक्टर अपने कार्यभार ग्रहण करने के बाद से ही अस्पताल में ड्यूटी के समय गायब रहते हैं. इस चौंकाने वाली जानकारी पर संज्ञान लेते हुए यूपी सरकार ने ऐसे डॉक्टरों पर अंकुश लगाने के लिए नए नियम बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. यूपी के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की ऐसी लापरवाही आये दिन सामने आती रहती हैं हालांकि डॉक्टर अब बिना महानिदेशालय को सूचना दिए गायब नहीं हो पाएगें. कार्यभार ग्रहण करने के बाद डॉक्टरों की करम-कुंडली पोर्टल पर भी अपडेट कर दी जाएगी. इसके लिए अभी से ही पोर्टल तैयार किया जा रहा है.

प्रदेश में प्रांतीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा संवर्ग में करीब 12 हजार चिकित्सक मौजूद हैं. इनकी तैनाती 170 जिला अस्पतालों, 107 100 बेड वाले अस्पतालों, 943 सीएचसी एवं 3649 पीएचसी में की गई है. महानिदेशालय से लेकर विभिन्न प्रशासनिक पदों पर भी वरिष्ठता के आधार पर इनकी तैनाती की गई है. जनवरी से मई 2022 तक करीब 1009 नए डॉक्टरों की तैनाती की जा चुकी है. विभाग में तैनाती के समय ही डॉक्टरों की कुंडली तैयार की जाएगी. इनका पूरा ब्योरा ऑनलाइन मौजूद रहेगा. इससे अगर कोई डॉक्टर सप्ताहभर से ज्यादा अनुपस्थिति हुआ तो इसकी सूचना विभाग के सभी उच्चाधिकारियों को मिल जाएगी.

कड़ी कार्रवाई के निर्देश

उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निरीक्षण में कई अस्पतालों से डॉक्टर लंबे समय से गायब होने की जानकारी मिली थी. अमरोहा में एक उप-चिकित्सा अधीक्षक 6 महीने से गायब थी, वह साथ ही साथ वेतन भी ले रही थी. खुलासा होने के बाद उसे निलंबित कर दिया गया. चिकित्सकों के इस तरह गायब होने की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए उप मुख्यमंत्री ने महानिदेशक को निर्देश दिया है कि सभी डॉक्टरों की पुख्ता रिपोर्ट तैयार की जाएं. जो डाक्टर अनुपस्थिति चल रहे हैं, उनके पद को रिक्त मानते हुए नए सिरे से भर्ती  प्रक्रिया शुरू की जाएं.

-भारत एक्सप्रेस



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