राज समाधियाला गांव
Gujarat Election: गुजरात में चुनाव प्रचार जोरों पर है, राजनीतिक दलों के नेता अपने पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थम में धुंआधार रैलियां कर रहे हैं. लेकिन गुजरात में एक ऐसा गांव भी है जहां चुनाव प्रचार पर रोक है. इतना ही नहीं इस गांव को अपने नियम-कायदों के लिए आदर्श गांव का तमगा हासिल है. इस गांव के सरपंच का मानना है कि राजनीतिक पार्टियां गांव में आएंगी तो जातिवाद होगा.
राजकोट जिले के राज समाधियाला गांव के लोगों ने राजनीतिक दलों के गांव में प्रवेश और चुनाव प्रचार (Gujarat Election) पर रोक लगा दी है. हालांकि इस गांव में अगर कोई मतदान नहीं करता है तो उस पर 51 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है. इस गांव में 1993 से राजनीतिक पार्टियों के आने पर रोक है. लेकिन गांव के सभी लोग मतदान करते हैं.
इस गांव को मिल चुका है राष्ट्रपति पुरस्कार
इस गांव के लोगों ने 1983 में अपने अलग नियम-कायदों को बनाया था. जिसकी वजह से ये गांव बेहद साफ सुथरा दिखता है. गांव की सभी सड़के सीमेंट की बनी हुई है. पूरे गांव में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. आप जानकर हैरान होंगे कि इस गांव को राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है. इस गांव के सरपंच का कहना है कि गांव में जातिवाद की सख्त मनाही है. आप ये जानकर हैरान होंगे कि इस गांव में कूड़ा फैलाने, हवा और पानी प्रदूषित करने, डीजे बजाने पर 51 रुपए का जुर्माना रखा गया है. साथ ही पटाखे सिर्फ दिपावली वाले दिन ही जलाया जाता हैं.
मतदान नहीं करने पर है जुर्माना
गांव के सरपंच ने बताया कि राजनीतिक दलों के नेता ये जानते हैं कि अगर वो राज समाधियाला गांव में चुनाव प्रचार (Gujarat Election) करेंगे तो उनको नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि इस गांव में रहने वाले सभी लोगों को मतदान करना अनिवार्य है, वरना उन पर 51 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है.
थाने नहीं जाते इस गांव के लोग
इसके साथ ही इस गांव में अगर कोई विवाद होता है तो मामला किसी थाने या फिर कोर्ट में नहीं जाता है, बल्कि गांव के ही लोग अदालत में उसका निस्तारण होता है. अगर कोई पुलिस से शिकायत करता है तो उस पर 500 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है. खास बात ये भी है कि इस गांव में कभी सरपंच के चुनाव नहीं होता है. आपसी सहमति से इस गांव में सरपंच का चयन होता है.
-भारत एक्सप्रेस