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UAE के साथ प्रगाढ़ होते भारत के रिश्ते, रणनीतिक और सांस्कृतिक भूमिका पर दोनों राष्ट्र कर रहे काम

भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच संबंध लगातार प्रगाढ़ होते जा रहे हैं. पहले भी दोनों देशों के संबंध लंबे समय से साझा सांस्कृतिक विरासत और समुद्री व्यापार से जुड़े रहे हैं. यही वह है कि इन संबंधों की बदौलत क्षेत्र की जियोपॉलिटिक्स में मौलिक बदलाव देखने को मिला है. दोनों मुल्कों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने सहयोग और कूटनीतिक भागीदारी को काफी प्रॉमिनेंट बनाया है.

संबंध सिर्फ व्यापार और व्यवसाय तक सिमित नहीं

पिछले 50 सालों में भारत ने अनुभव किया है कि संयुक्त अरब अमीरात के साथ उसके संबंध सिर्फ व्यापार और व्यवसाय तक सिमित नहीं हैं. ऐसे कई अन्य वजहें हैं, जो स्वाभाविक रूप से दोनों देशों को एक सूत्र में बांधते हैं. मसलन, राष्ट्रीय संप्रभुता के सिद्धांतों के लिए उनका परस्पर सम्मान और खाड़ी क्षेत्र में भारतीय प्रवासियों की सामाजिक सुरक्षा एक जीवंत उदाहरण है.

अर्थव्यवस्था के हितों के प्रसार का परिणाम

क्षेत्रीय सुरक्षा, ऊर्जा सहयोग और डिजिटल अर्थव्यवस्था के हितों के प्रसार का परिणाम है, कि दोनों देशों आज की तारीख में एक उद्देश्य पर जोर दे रहे हैं. दोनों देश वैश्विक परिस्थिति में कई राष्ट्रों के लिए रणनीतिक धुरी की तरह दिखाई दे रहे हैं.

गौरतलब है कि भारत वर्तमान में G20 देशों का प्रभारी है. इस बीच भारत G20 शिखर सम्मेलन में गैर-सदस्य देशों और अंतरराष्ट्रीय समूहों को आमंत्रित करने का भी काम कर रहा है. मिस्र, मॉरीशस, नाइजीरिया, नीदरलैंड, स्पेन, सिंगापुर, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और बांग्लादेश उन देशों में शामिल हैं, जिन्हें इस साल आमंत्रित किया गया है.

दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश

संयुक्त अरब अमीरात वर्तमान में भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है और तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार भी है. आने वाले सालों में यह अनुमान है कि दोनों देशों के बीच व्यापार 2019-20 में 60 बिलयन डॉवर से बढ़कर अब 100 बिलियन डॉलर हो जाएगा.

पिछले वर्ष दिसंबर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि विदेश में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक भारतीय यूएई में रहते हैं. फरवरी 2022, में भारत और यूएई पहले एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर समहत हुए थे. दोनों राष्ट्र लंबे वक्त से एक दूसरे से जुड़े थे, लेकिन 2016 के बाद संबंधों में अभूतपूर्व प्रगति देखी गईं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2015 का दौरा इसके लिए काफी सहयोगी और महत्वपूर्ण साबित हुआ. इसके बाद से संबंधों की डोर और ज्यादा मजबूत हुई. फिलहाल, भारत और यूएई कई सारे सांस्कृतिक और रणनीतिक रिश्तों में मजबूती को लेकर बात कर रहे हैं.
(इस लेख के मूल लेखक महीप हैं, जिसे ऑलवेज फर्स्ट से लिया गया है…)

– भारत एक्सप्रेस

Satwik Sharma

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