भारत ने बंगाल की खाड़ी में एक परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी से लगभग 3,500 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है, जो इसकी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता और सामरिक क्षमताओं को एक बड़ा बढ़ावा देता है. इस परीक्षण के साथ ही दुश्मन देशों के छक्के छुड़ाने में भारतीय सेना की ताकत में और इजाफा हो गया है.
मामले से परिचित लोगों ने गुरुवार (28 नवंबर) को बताया कि इस परीक्षण के साथ ही भारत उन देशों के एक छोटे समूह का हिस्सा बन गया है, जिनके पास जमीन, हवा और पानी के नीचे से परमाणु मिसाइल दागने की क्षमता है. उन्होंने बताया कि K4 मिसाइल का परीक्षण बुधवार (27 नवंबर) को विशाखापत्तनम के तट पर पनडुब्बी INS अरिघाट से किया गया.
लोगों ने बताया कि यह पनडुब्बी से लॉन्च की गई बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) का पहला परीक्षण था. पिछले कुछ सालों में पनडुब्बी से ठोस ईंधन वाली मिसाइल का कम से कम पांच बार परीक्षण किया गया था.
इससे पहले भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के उद्देश्य से दूसरी अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट को 29 अगस्त को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था.
इसे स्वदेशी प्रणालियों और उपकरणों का गौरव प्राप्त है, जिनकी संकल्पना, डिजाइन, निर्माण और एकीकरण भारतीय वैज्ञानिकों, उद्योग और नौसेनाकर्मियों द्वारा किया गया है. पिछले कुछ वर्षों में भारत अपनी समग्र सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है और अलग-अलग रेंज वाली मिसाइलों की एक श्रृंखला का परीक्षण कर रहा है.
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10 दिन पहले भारत ने ओडिशा के तट से लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया. यह हथियार अत्यधिक गति से हमला कर सकता है और अधिकांश वायु रक्षा प्रणालियों को चकमा दे सकता है.
आमतौर पर पारंपरिक विस्फोटक या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइलें समुद्र तल पर ध्वनि की गति से पांच गुना (मैक 5 जो लगभग 1,220 किलोमीटर है) प्रति घंटे की सीमा में उड़ सकती हैं.
हालांकि, हाइपरसोनिक मिसाइलों के कुछ उन्नत संस्करण 15 मैक से भी अधिक की गति से उड़ सकते हैं. वर्तमान में, रूस और चीन हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास में बहुत आगे हैं, जबकि अमेरिका एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के तहत ऐसे हथियारों की एक श्रृंखला विकसित करने की प्रक्रिया में है.
हाइपरसोनिक मिसाइलों को अत्यधिक युद्धाभ्यास और फुर्तीला माना जाता है, क्योंकि वे बीच में ही अपना रास्ता बदल सकती हैं. बैलिस्टिक मिसाइलें, जो मैक 5 की गति से भी उड़ सकती हैं, पूर्व निर्धारित प्रक्षेप पथों के मद्देनजर सीमित गतिशीलता रखती हैं. भारत, चीन की आक्रामक सैन्य ताकत के मद्देनजर अपनी लड़ाकू क्षमताओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
-भारत एक्सप्रेस
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