प्रतीकात्मक फोटो.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आज के आभासी दुनिया में नाबालिगों को ‘अच्छे स्पर्श’ (Good Touch) और ‘बुरे स्पर्श’ (Bad Touch) के पारंपरिक खतरों के बारे में बताया जाना ही काफी नहीं है, बल्कि उन्हें ‘आभासी स्पर्श’ (Virtual Touch) की अवधारणा और उसके संभावित खतरों के बारे में भी शिक्षित किया जाना जरूरी है, ताकि वे साइबरस्पेस में संभावित खतरों को पहचानने में सक्षम हो सकें. इसमें उचित ऑनलाइन व्यवहार सिखाना, हिंसक व्यवहार के संकेतों को पहचानना और गोपनीयता सेटिंग्स व ऑनलाइन सीमाओं के महत्व को समझाना शामिल है.
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि यह अदालत इस बात पर ध्यान देने के लिए जोर देती है कि साइबर स्पेस की आधुनिक दुनिया में जहां किशोरों के बीच कथित ऑनलाइन प्रेम के मंच बन गए हैं, वे वेश्यावृत्ति के लिए मानव तस्करी और अपराधों के दूसरे पक्ष के संभावित खतरों से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं.
उन्होंने उक्त टिप्पणी एक महिला कमलेश देवी की जमानत याचिका को खारिज करते की. महिला पर आरोप है कि उसने अपने बेटे की मदद की, जिस पर एक नाबालिग लड़की का अपहरण करने और उसे वेश्यावृत्ति में धकेलने के बाद उसका यौन उत्पीड़न करने का आरोप है.
स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करें
जस्टिस शर्मा ने संबंधित हितधारकों से वर्चुअल टच, उसके नतीजों और खतरों के बारे में जानकारी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने को कहा है. उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि इस आदेश/निर्णय के माध्यम से स्कूलों व कॉलेजों, दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के साथ दिल्ली न्यायिक अकादमी जैसे संबंधित हितधारकों को इस मुद्दे पर कार्यक्रम, कार्यशालाएं और सम्मेलन आयोजित करने के लिए कहा जाए. एक संदेश भेजा जाए. इसके साथ ही निर्देश दिया कि उनके आदेश की प्रति सूचना एवं अनुपालन के लिए दिल्ली न्यायिक अकादमी और दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को भेजा जाएगा.
कोर्ट ने कहा कि परंपरागत रूप से नबालिगों को नुकसान से बचाने के लिए उन्हें शारीरिक तौर पर ‘अच्छे स्पर्श’ और ‘बुरे स्पर्श’ के बारे में सिखाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है. लेकिन आज की साइबर दुनिया में ‘वर्चुअल टच’ की अवधारणा को शामिल करके इस शिक्षा का विस्तार करना महत्वपूर्ण है. नाबालिगों को ऑनलाइन माध्यमों से रूबरू होने को सुरक्षित बनाने और साइबर स्पेस में छिपे संभावित जोखिमों को पहचानने की जरूरत है.
क्या है पूरा मामला
दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2021 में एक 16 वर्षीय लड़की का अपहरण और यौन उत्पीड़न करने के साथ उसे वेश्यावृत्ति में ढकेलने के आरोपी बेटे की मदद करने वाली महिला को जमानत देने से इनकार करते हुए ये टिप्पणी की. महिला पर ‘पीड़िता को वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर करने के साथ-साथ उसे एक कमरे में कैद करने’ का भी आरोप लगाया गया था.
मुख्य आरोपी राजीव ने सोशल मीडिया के जरिये लड़की से दोस्ती की और जब वह उससे मिलने गई तो उसका अपहरण कर लिया. लड़की को मध्य प्रदेश ले जाकर कई दिन तक रखा गया. इसके बाद उस युवक और कुछ अन्य लोगों ने कथित तौर पर उसका यौन उत्पीड़न किया.
यह आरोप भी है कि लड़की को पैसे के बदले 45 वर्षीय व्यक्ति से शादी करने के लिए मजबूर किया गया था. लड़की ने आरोप लगाया है कि आरोपी व्यक्ति कई पुरुषों को उस परिसर में लाता था, जहां उसे कैद किया गया था और उसका यौन शोषण किया जाता था.
हाईकोर्ट ने क्या कहा
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला उस स्थिति से संबंधित है, जहां एक 16 वर्षीय लड़की का कथित तौर पर एक व्यक्ति द्वारा अपहरण कर लिया गया था, जिससे उसकी मुलाकात एक सोशल मीडिया ऐप पर हुई थी. उसे एक कमरे में रखा गया और लगभग 20-25 दिनों तक उसका यौन उत्पीड़न किया गया.
आदेश में लिखा है, ‘पीड़ा की कहानी में और गहरा मोड़ आ गया, क्योंकि बाद में उसे पैसे के बदले में उसकी इच्छा के विरुद्ध 45 वर्षीय व्यक्ति के साथ शादी करने के लिए मजबूर किया गया.’
-भारत एक्सप्रेस
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