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Kannada Controversy: कन्नड़ भाषा को लेकर कर्नाटक में मचा बवाल, कन्नड़ समर्थकों ने जमकर की तोड़फोड़

Karnataka Language Controversy: केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि, “हालांकि मैं हिंसा से सहमत नहीं हूं, लेकिन मैं इस मांग से सहमत हूं”

कर्नाटका

Karnataka Language Controversy: कर्नाटक में कल के दिन कई जगहों पर बवाल भरा रहा. बवाल की जड़ में दुकानों के साइन बोर्ड स्थानीय भाषा में लिखे होने की मांग रही. इसके बाद कई कन्नड़ समर्थक संगठनों अलग-अलग क्षेत्रों में जमकर तोड़फोड़ की. इलाकों में शॉपिंग सेंटर्स में तोड़फोड़ की. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राज्य में इस तरह की मांग का समर्थन किया.

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि, “हालांकि मैं हिंसा से सहमत नहीं हूं, लेकिन मैं इस मांग से सहमत हूं कि कर्नाटक में दुकानों के साइन बोर्ड मुख्य रूप से स्थानीय भाषा में होने चाहिए.”

क्या कहते हैं नियम

नागरिक नियमों के मुताबिक, साइन बोर्ड का 60 फीसदी भाग राज्य की स्थानीय भाषा में लिखा होना चाहिए. हालांकि, कई जगहों पर इसकी अनदेखी की जाती रही है. ऐसे में कल इसके विरोध में कन्नड़ समर्थकों द्वारा जमकर उत्पात मचाया गया.

मामले की जड़ में भाषण

मामले की जड़ में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के अक्टूबर में दिए गए एक भाषण को बताया जा रहा है. इसमें उन्होंने राज्य में रहने वाले हर व्यक्ति को कन्नड़ बोलना सीखने की बात कही थी.

वहीं उन्होंने इस घटना को लेकर कहा कि “उन्हें आज की घटना की जानकारी है. हम उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जिन्होंने कानून अपने हाथ में लिया और कानून के खिलाफ गए.”

नियमों का करें पालन

बीबीएमपी प्रमुख तुषार गिरि नाथ ने मामले को लेकर कहा कि “नागरिक निकाय के अधिकार क्षेत्र के तहत वाणिज्यिक दुकानों को 28 फरवरी तक नियम का पालन करना होगा, ऐसा न करने पर उन्हें व्यापार लाइसेंस के निलंबन सहित कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.”

मामले में कर्नाटक पुलिस ने 700 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है. इसमें केआरवी संयोजक टीए नारायण गौड़ा सहित कन्नड़ समर्थक संगठनों के लोग भी शामिल थे. वहीं पुलिस कई लोगों की तलाश कर रही है.

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टीए नारायण गौड़ा ने कहा, “नियम के अनुसार, 60 प्रतिशत साइनबोर्ड और नेमप्लेट कन्नड़ भाषा में होने चाहिए. हम किसी भी कंपनी या बिजनेस के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यदि आप कर्नाटक में व्यवसाय कर रहे हैं तो आपको हमारी भाषा का सम्मान करना होगा. यदि आप कन्नड़ को नजरअंदाज करते हैं या कन्नड़ को छोटे अक्षरों में लिखवाते हैं, तो हम आपको यहां काम नहीं करने देंगे.”



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