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Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र सरकार को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना अंतिम फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने उद्धव ठाकरे की सरकार को फिर से बहाल करने से इंकार कर दिया, लेकिन कोर्ट ने शिंदे गुट की कई गलतिंयों को माना. उद्धव ठाकरे की सरकार को फिर से बहाल नहीं करने के पीछे की वजह भी बतायी. कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया था. हम फिर से पूर्व स्थिति बहाल नहीं कर सकते. ऐसे में अब सब एक ही सवाल पूछे रहे है कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना क्यों नहीं किया.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से हटने का पहला इशारा 22 जून को ही दे दिया था, जब उनकी पार्टी के कई विधायक विधान परिषद चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद सूरत चले गए थे. ठाकरे किसी हालत में हारा हुआ महसूस नहीं करना चाहते थे.
जब एक-एक करके उद्धव के सभी साथी धीरे-धीरे उनका साथ छोड़ रहे थे तो वह काफी ठगा महसूस कर रहे थे. ठाकरे गुट के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से एक अखबार ने लिखा कि “जैसे-जैसे उद्धव के करीबियों का घेरा छोटा होता गया, वह खुद को ठगा और आहत महसूस करने लगे थे. नेता ने बताया कि वह इस बात से आहत थे कि बड़ी संख्या में विधायक बिना किसी बातचीत के उनके खिलाफ हो गए”.
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उद्धव ठाकरे के करीबियों के मुताबिक, वह सोच रहे थे कि उनके साथ धोका हो रहा है. इसलिए वह विधानसभा में कभी उनके साथ काम करने वालों के आरोपों का सामना नहीं करेंगे. इसके साथ ही, एक शक इस बात का भी था कि फ्लोर टेस्ट के दौरान चर्चा में कुछ और विधायक खेमा बदल सकते थे. यह और ज्यादा अपमानजनक और शर्मिंदा करने वाला होता और वह इसका हिस्सा नहीं होना चाहते थे.
अपने ही नेताओं की बगावत के बात उद्धव इतना ठगा महसूस कर रहे थे कि उन्होंने इस्तीफा देने के लिए न तो कई कानूनी सलाह ली और न ही अपने सहयोगियों एनसीपी और कांग्रेस से कोई सलाह मशविरा किया. बीते दिन शुक्रवार को ही उनका यह फैसला उनके खिलाफ हो गया. जब कोर्ट ने पूर्व स्थिति बहाल करने से इंकार कर दिया.
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