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Manish Sisodia: “देश की तरक्की के लिए पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री होना जरूरी है”, जेल में बंद दिल्ली पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने लिखा देश के नाम पत्र

Manish Sisodia: दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया आबकारी नीति घोटाले मामले में अभी जेल में बंद हैं. इस दौरान उन्होंने जेल से देशवासियों के नाम एक चिट्ठी लिखी है. जिसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया है. मनीष सिसोदिया ने अपनी पत्र में लिखा- प्रधानमंत्री का कम पढ़ा-लिखा होना देश के लिए बेहद खतरनाक है. पीएम मोदी विज्ञान की बातें नहीं समझते. मोदी शिक्षा का महत्व नहीं समझते. पिछले कुछ वर्षों में (उन्होंने) 60,000 स्कूल बंद किए. भारत की तरक्की के लिए पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री होना जरूरी है.’’

बीते दिनों से पीएम मोदी की डिग्री को लेकर केजरीवाल सरकार हमलावर है. आप की तरफ से लगातार उन निशाने साधे जा रहे हैं. वहीं अब जेल में बंद मनीष सिसोदिया ने उनके पढ़ाई-लिखाई को लेकर निशाना साधा है.

क्या अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा होना गर्व की बात है ?

मनीष सिसोदिया ने अपने पत्र में लिखा, “मैंने प्रधानमंत्री मोदी जी का एक वीडियो देखा था, जिसमे वो बड़े गर्व के साथ कह रहे हैं कि वह पढ़े-लिखे नहीं हैं. केवल गांव के एक स्कूल तक ही उनकी शिक्षा हुई है. क्या अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा होना गर्व की बात है. जिस देश के प्रधानमंत्री को कम पढ़े-लिखे होने पर गर्व हो, उस देश में एक आम आदमी के बच्चे के लिए अच्छी शिक्षा का कभी इंतजाम नहीं किया जाएगा. हाल के वर्षों में 60 हजार सरकारी स्कूलों को बंद किया जाना इस बात का जीता जागता प्रमाण है. ऐसे में मेरा भारत कैसे तरक्की करेगा. आप अपनी छोटी सी कंपनी के लिए एक मैनेजर रखने के लिए भी एक पढ़े-लिखे व्यक्ति को ही ढूंढ़ते हैं. क्या देश के सबसे बड़े मैनेजर को पढ़ा-लिखा नहीं होना चाहिए.”

‘दुनिया के लोगों में वो हास्य के पात्र बनते हैं’

सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी में आगे लिखा कि “आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं दुनिया भर में विज्ञान और टेक्नोलॉजी में हर रोज नई तरक्की हो रही है सारी दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बात कर रही है. ऐसे में जब मैं प्रधानमंत्री को यह कहते हुए सुनता हूं कि गंदे नाले में पाइप डालकर उसकी गंदी गैस से कैसे चाय या खाना बनाया जा सकता है, तो मेरा दिल बैठ जाता है. क्या नाली की गंदी कैसे चाहिए खाना बनाया जा सकता है ? नहीं! जब प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि बादलों के पीछे उड़ते जहाज को रडार नहीं पकड़ सकता तो वह पूरी दुनिया के लोगों में वो हास्य के पात्र बनते हैं. स्कूल और कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चे उनका मजाक बनाते हैं.”

‘आज युवा मौके की तलाश में है’

उन्होंने आगे लिखा- आज देश का युवा आशावादी (Aspirational) है, जो कुछ करना चाहता है. वह अवसर की तलाश में है वह दुनिया जीतना चाहता है. साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में वह कमाल करना चाहता है. क्या एक कम पढ़ा लिखा प्रधानमंत्री आज के युवा के सपनों को पूरा करने की क्षमता रखता है ? हाल ही के वर्षों में देश भर में 60000 सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए. क्यों ? एक तरफ देश की आबादी बढ़ रही है तो सरकारी स्कूलों की संख्या तो करनी चाहिए थी ? अगर सरकारी स्कूलों का स्तर अच्छा कर दिया जाए तो लोग अपने बच्चों को प्राइवेट से निकालकर सरकारी स्कूल में भेजना शुरू कर देंगे. जैसा कि अब दिल्ली में होने लगा है लेकिन देश भर में सरकारी स्कूलों का बंद होना खतरे की घंटी है. इससे पता चलता है कि शिक्षा सरकार की प्राथमिकता है ही नहीं. अगर वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं देंगे तो क्या भारत तरक्की कर सकता है. कभी नहीं ?

– भारत एक्सप्रेस

 

Rahul Singh

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