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Dussehra 2023: चार पीढ़ियों से रावण का पुतला बना रहा है मेरठ का यह मुस्लिम परिवार, दशहरे में होता है लाखों का व्यापार

Meerut News: असलम बताते हैं कि उनका व्यवसाय 80 वर्ष से अधिक पुराना है. आजादी से पहले दादा ने इस व्यवसाय की नींव रखी थी, जिसे वह और उनके बच्चे सम्भाल रहे हैं.

फोटो-सोशल मीडिया

Dussehra-2023: बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक दशहरा पर्व को लेकर पूरे प्रदेश में उत्साह का माहौल है. वहीं हिंदुओं के इस त्योहार में मुस्लिम भी शामिल हैं और दहन के लिए रावण के पुतले का निर्माण करने में जुटे हैं. दरअसल मेरठ से खबर सामने आ रही है कि यहां पर एक ऐसा मुस्लिम परिवार है जो चार पीढ़ियों से रावण के पुतले का निर्माण करता आ रहा है. ये परिवार आजादी से पहले से पुतला बनाने के काम से जुड़कर देश में भाईचारे की मिसाल को प्रस्तुत कर रहा है.

इस सम्बंध में मेरठ निवासी मोहम्मद असलम बताते हैं कि वह अपने इस पैतृक व्यवसाय से 43 साल पहले अपने पिता के साथ जुड़े थे, जिनकी उम्र अब 64 वर्ष हो चुकी है, जबकि उनके दादा ने इस काम की नींव आजादी से पहले रखी थी. वह बताते हैं कि इस कार्य से उनकी चार पीढ़ियां जुड़े हैं. वह कहते हैं कि हर साल आयोजित होने वाले रामलीला उत्सव के समापन दिवस पर जलने वाले ‘रावण’ का 60 से 120 फुट का पुतला बनाते हैं. असलम कहते हैं कि पुतला बनाने का हुनर उन्होंने अपने पिता से सीखा है.

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80 वर्ष पुराना है व्यवसाय

असलम बताते हैं कि उनका व्यवसाय 80 वर्ष से अधिक पुराना है. आजादी से पहले दादा ने इस व्यवसाय की नींव रखी थी, जिसे वह और उनके बच्चे संभाल रहे हैं. उन्होंने कहा, “मुझे अभी भी याद है कि 1980 में, मेरा पहला ऑर्डर 1400 रुपये का था, लेकिन आज मैं ‘रावण’ के 120 फुट के पुतले के लिए 1.2 लाख रुपये लेता हूं.” असलम ने आगे बताया कि मुस्लिम समुदाय से होने के बावजूद, उनके इस कार्य के लिए उनके धर्म ने कभी काम में हस्तक्षेप नहीं किया और न ही मैंने कभी सोचा कि मैं दूसरे समुदाय के लिए काम कर रहा हूं.” असलम कहते हैं कि यह मेरी आजीविका है. मुझे एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है और मेरा काम निराश नहीं करता है.”

118 वर्षों से कर रहे हैं एक साथ काम

मेरठ के जिमखाना मैदान में रामलीला कार्यक्रम का आयोजन करने वाले समिति के अध्यक्ष मनोज ने मीडिया को जानकारी दी कि वह करीब 118 वर्षों से दशहरा कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं.” असलम को लेकर वह कहते हैं कि असलम और उनका परिवार उनके साथ लम्बे वक्त से काम कर रहा है. मनोज बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष असलम 120 फुट के 12 पुतले बनाते हैं, जिनमें रावण के भाई कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले भी शामिल हैं. असलम को छोटे आकार के पुतलों के भी तमाम ऑर्डर मिलते हैं. इसी के साथ उन्होंने बताया कि हमेशा की तरह इस बार भी दशहरे के माध्यम से वह जनता को स्वच्छता और लोगों की सुरक्षा को लेकर संदेश दे रहे हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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