खाली दुकानों में बैठे व्यापारी
बृजेश गुप्ता
Maharajganj: नेपाल सरकार द्वारा भारतीय वस्तुओं पर कस्टम शुल्क बढ़ाए जाने के बाद से महाराजगंज जनपद के सीमावर्ती बाजारों में सन्नाटा छा गया है. व्यापारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और हाहाकार मचा हुआ है. यहां पर नेपाली ग्राहकों ने खरीदारी बंद कर दी है. वहीं यहां के व्यापारियों ने नेपाल सरकार से बढ़े कस्टम शुल्क को वापस लेने की मांग की है.
यूपी का महराजगंज जिला नेपाल सीमा के पास पड़ता है. यहां के सोनौली बाजार और आसपास के बाजारों में जहां नेपाली ग्राहकों से कभी रौनक रहती थी, लेकिन अब ये आर्थिक मंदी से जूझ रहा रहा है. महराजगंज जनपद के सीमावर्ती बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है. दुकानदार आर्थिक संकट से जूझते हुए नजर आ रहे हैं.
दरअसल नेपाल सरकार ने 1 जून से भारत से नेपाल को जाने वाली आलू, प्याज, मटर, स्ट्रॉबेरी, चीनी, कपड़ा के साथ ही सभी इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर 13% अतिरिक्त शुल्क बढ़ा दिया है. यानी अब नेपाल का कोई भी व्यापारी या आम व्यक्ति भारत के बाजारों में जाकर 100% से अधिक की खरीदारी करता है तो उसे नेपाल सरकार को 13% अतिरिक्त कस्टम शुल्क चुकाना होगा. इसके बाद से ही यहां से बाजारों में सन्नाटा पसरा है और व्यापारी आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं.
1960 में लागू किया गया था ये नियम
बता दें कि 1960 से ही नेपाल सरकार ₹100 से अधिक सामानों पर कस्टम कराने का नियम लागू किया था, लेकिन तब ₹100 का वैल्यू बहुत था और अब जबकि 2023 चल रहा है, ऐसे में ₹100 में कोई भला क्या-क्या सामान खरीद पाएगा. इसको लेकर नेपाल और भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में कोहराम मचा हुआ है. लिहाजा नेपाल के इस नए नियम के बाद नेपाली ग्राहकों ने महाराजगंज जनपद के सीमावर्ती क्षेत्रों में खरीदारी बंद कर दिया है जिसके बाद महाराजगंज जनपद के सीमावर्ती बाजारों में आर्थिक मंदी से लोग जूझ रहे हैं. सीमावर्ती क्षेत्रों के व्यापारियों ने नेपाल सरकार से गुहार लगाई है कि नेपाल सरकार रोटी बेटी के रिश्ते को निभाए रखने के लिए कस्टम शुल्क में बदलाव लाए ताकि सीमावर्ती बाजारों की रौनक फिर से बढ़ सके.
-भारत सरकार
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