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सोमनाथ में बुलडोजर कार्रवाई पर Supreme Court ने कहा- जमीन का कब्जा सरकार के पास ही रहेगा

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के गिर-सोमनाथ में बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका पर यथास्थिति बनाये रखने के आदेश देने से इंकार कर दिया है.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के गिर-सोमनाथ में बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका पर यथास्थिति बनाये रखने के आदेश देने से इंकार कर दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उसने सरकारी जमीन से अवैध निर्माण को हटा कर उसे अपने कब्जे में ले लिया है. यह जमीन फिलहाल तीसरे पक्ष को नही दी जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने इसे रिकॉर्ड पर लेते हुए साफ कर दिया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने की वजह से गुजरात हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं पर कोई असर नही पड़ेगा. हाई कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि अगले आदेश तक जमीन का कब्जा सरकार के पास रहेगा और किसी तीसरे पक्ष को आवंटित नही किया जाएगा. ऐसे में हमें कोई अंतरिम आदेश पारित करना जरूरी नही लगता.

कपिल सिब्बल ने बताया संरक्षित इमारत

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि ये संरक्षित स्मारक है. किसी तीसरे पक्ष का अधिकार नही है. जिसपर जस्टिस गवई ने कहा कि तीसरे पक्ष के क्या अधिकार है? यह सरकारी जमीन है. हाई कोर्ट को मामले की जानकारी है. सिब्बल ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है.

‘सरकारी जमीन है, जब चाहूं तोड़ सकता हूं…’

सिब्बल ने यह भी कहा कि वे स्मारक अरब सागर के पास है और जल निकाय के पास नही हो सकता. संरक्षित स्मारक गिरा दिए गए. क्या आपके आदेश के बावजूद इसकी कल्पना कर सकते है. एसजी मेहता ने कहा कि कोई भी संरक्षित स्मारक नही है. जस्टिस गवई ने कहा कि हाई कोर्ट का यह आदेश 2015 में पारित किया गया था. आप भूमि का उपयोग केवल बताए गए उद्देश्यों के लिए कर सकते हैं. जिसपर एसजी ने कहा कि हम यही कर सकते है. सिब्बल ने कहा कि हमारी संरचनाएं सुरक्षित है. तर्क यह है कि यह सरकारी जमीन है, मैं जब चाहूं तोड़ सकता हूं.

9 धार्मिक ढांचों पर चलाया गया था बुलडोजर

बता दें कि पटनी मुस्लिम समाज ने 1 अक्टूबर को अवमानना याचिका दाखिल की थी. दायर अवमानना याचिका में दरगाह मंगरोली शाह बाबा, ईदगाह, प्रभास पाटन, वेरावल, गिर सोमनाथ में स्थित कई अन्य स्ट्रक्चर के कथित अवैध विध्वंस बक हवाला दिया गया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की गई है. यहां अल्पसंख्यक समुदाय के एक साथ 9 धार्मिक ढांचों पर बुलडोजर चलाया गया है.

-भारत एक्सप्रेस



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