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Independence Day की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों को दी बधाई बोलीं- लोग उत्साह के साथ मना रहे आजादी का अमृत महोत्सव

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, “यह देखना हमारे लिए खुशी के साथ-साथ गर्व की बात है कि भारत में हर जगह, शहरों और गांवों में बच्चे, युवा और बुजुर्ग कैसे उत्साहित हैं और हमारी आजादी के इस त्योहार को मनाने की तैयारी कर रहे हैं.”

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

Delhi: देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को संबोधित किया. राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, “मेरे प्यारे देशवासियो, देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर आप सभी को मेरी हार्दिक बधाई. यह दिन हम सब के लिए गौरवपूर्ण और पावन है. चारों ओर उत्सव का वातावरण देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है. स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम केवल एक व्यक्ति ही नहीं हैं, बल्कि हम एक ऐसे महान जन-समुदाय का हिस्सा हैं जो अपनी तरह का सबसे बड़ा और जीवंत समुदाय है. यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों का समुदाय है. जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा, हमारी अपने परिवार और कार्य-क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है. लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है जो इन सबसे ऊपर है, और हमारी वह पहचान है, भारत का नागरिक होना.

महिला सशक्तीकरण को दें प्राथमिकता

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, “मैं सभी देशवासियों से आग्रह करती हूं कि वे महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दें. मैं चाहूंगी कि हमारी बहनें और बेटियां साहस के साथ, हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ़ें. मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि हमारे देश में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. आर्थिक सशक्तिकरण से परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत होती है. मैं चाहूंगी कि हमारी बहनें और बेटियां साहस के साथ चुनौतियों पर विजय प्राप्त करें और जीवन में आगे बढ़ें. महिलाओं का विकास हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों में से एक था.”

स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, “स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, मैं अपने साथी नागरिकों के साथ उन ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को कृतज्ञ श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं जिनके बलिदानों ने भारत को राष्ट्रों के समुदाय में अपना उचित स्थान फिर से हासिल करना संभव बना दिया है. मातंगिनी हाजरा और कनकलता बरुआ जैसी महान महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत-माता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. मां कस्तूरबा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ सत्याग्रह की कठिन राह पर कदम-कदम पर कदम बढ़ाया.”

लोग मना रहे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, “यह हम सभी के लिए गौरवशाली एवं शुभ अवसर है. मुझे यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि हवा में उत्सव का माहौल है. यह देखना हमारे लिए खुशी के साथ-साथ गर्व की बात है कि भारत में हर जगह, शहरों और गांवों में बच्चे, युवा और बुजुर्ग कैसे उत्साहित हैं और हमारी आजादी के इस त्योहार को मनाने की तैयारी कर रहे हैं. लोग बड़े उत्साह के साथ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं.”

विश्व मंच पर भारत के बढ़ते कदम

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि, “आज, हम देख रहे हैं कि भारत ने न केवल विश्व मंच पर अपना उचित स्थान हासिल कर लिया है, बल्कि इसने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में भी अपना कद बढ़ाया है. भारत इसे बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.” भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों का नेतृत्व भी संभाला है, खासकर जी-20 की अध्यक्षता. चूंकि जी-20 दुनिया की दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह वैश्विक चर्चा को आकार देने में मदद करने का एक अनूठा अवसर है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की तारीफ

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में इसरो के मिशन चंद्रयान-3 की भी बात की. उन्होंने कहा कि चंद्रमा का अभियान अंतरिक्ष के हमारे भावी कार्यक्रमों के लिए केवल एक सीढ़ी है. हमें बहुत आगे जाना है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) नई ऊंचाइयों को छू रहा है. ISRO ने चंद्रयान-3 लॉन्च किया है जो चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर चुका है.

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जनजातीय समुदायों का भी जिक्र

राष्ट्रपति ने कहा कि, “जनजातीय समुदायों द्वारा युगों से अपना अस्तित्व बनाए रखने के रहस्य को एक शब्द में ही व्यक्त किया जा सकता है. वह शब्द है: हमदर्दी. उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय के लोग प्रकृति को मां समझते हैं और उनकी सभी संतानों अर्थात वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के प्रति सहानुभूति रखते हैं.

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