Kuno National Park: कूनो में चीतों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच बुधवार को एक और चीते की मौत के साथ अब तक 9 चीतों की मौत हो गई है. प्रधान मुख्य वन संरक्षक असीम श्रीवास्तव के मुताबिक ने मादा चीता ‘धात्री’ की मौत की पुष्टि की है. एक अधिकारी के मुताबिक पोस्टमार्टम के बाद मादा चीता की मौत के कारण का पता चल सकेगा.
इसके पहले 14 जुलाई को कूनो में दक्षिण अफ्रीका से लाया गया चीता ‘सूरज’ मृत पाया गया था. ‘सूरज’ की मौत के 19 दिनों के भीतर की एक और मादा चीता की मौत से चीता प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है. वहीं ‘सूरज’ की मौत के तीन दिन पहले ही ‘तेजस’ नामक चीते की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी. तेजस को भी दक्षिण अफ्रीका से ही लाया गया था.
कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच बुधवार को एक और चीते की मौत के साथ अब तक 9 चीतों की मौत हो गई है.#KunoNationalPark #MadhyaPradesh #Cheetah #MPNews #Kuno #BharatExpress pic.twitter.com/f7iwg7PHdh
— Bharat Express (@BhaaratExpress) August 2, 2023
27 मई को मादा चीता ‘साशा’ की हुई थी मौत
कूनो में चीतों की मौत का सिलसिला एक मादा चीता ‘साशा’ के मरने से शुरू हुआ था. 27 मई को साशा की किडनी में इंफेक्शन से मौत हो गई थी. ‘साशा’ उन आठ चीतों में शामिल थी जिन्हें 17 सितंबर को नामीबिया से लाकर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में शिफ्ट किया गया था.
बता दें कि पिछले साल, नामीबिया से 8 चीतों को लाया गया था और इन्हें पीएम मोदी ने बाड़े में रिलीज किया था. वहीं दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों की दूसरी खेप कूनो नेशनल पार्क लाई गई थी. इनमें सात नर और पांच मादा थीं. लेकिन कूनो में हो रही चीतों की मौत ने चीता प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक तरफ इसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. दूसरी तरफ ये मामला सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच चुका है.
फॉरेन एक्सपर्ट्स ने जताई चिंता
दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के चीता एक्सपर्ट्स ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखकर इस प्रोजेक्ट के मैनेजमेंट को लेकर अपनी चिंताएं जताई हैं. ये एक्सपर्ट्स नेशनल चीता प्रोजेक्ट स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य हैं जिनकी देखरेख में 20 चीते भारत लाए गए थे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया है, “कुछ चीतों की मौत कड़ी निगरानी एवं समय पर मेडिकल सुविधाएं देकर रोकी जा सकती थी, यदि समय पर विशेषज्ञों को बुलाया जाता और स्थिति को ‘अनदेखा’ नहीं किया जाता तो कुछ मौतों को रोका जा सकता था.
-भारत एक्सप्रेस