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Operation Sindoor: मोदी सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति से भारतीय सेना को मिली ताकत

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की सेना ने स्वदेशी हथियारों और तकनीकों का प्रभावशाली प्रदर्शन किया. जानिए कैसे ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति ने रक्षा क्षेत्र में क्रांति ला दी.

Defence Budget

रक्षा बजट बढ़ाने पर विचार कर रही मोदी सरकार.

Prashant Rai Edited by Prashant Rai

पाहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा चलाया गया जवाबी अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न केवल सेना की रणनीतिक ताकत का प्रतीक बना, बल्कि यह अभियान देश की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं की बड़ी सफलता भी साबित हुआ. ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों के जरिए विकसित स्वदेशी हथियार प्रणालियों, ड्रोन, मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम ने ऑपरेशन के दौरान शानदार प्रदर्शन किया, जबकि तुर्की और चीन जैसे देशों से प्राप्त उपकरण अपेक्षा से काफी पीछे रह गए.

रक्षा निर्माण में ऐतिहासिक प्रगति

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के बाद भारत का रक्षा उत्पादन क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ा. 2014-15 में जहां रक्षा उत्पादन ₹46,429 करोड़ था, वहीं 2023-24 में यह ₹1.27 लाख करोड़ को पार कर गया – जो 174% की वृद्धि है. सरकारी रक्षा उपक्रमों के साथ-साथ निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स की सक्रिय भागीदारी ने इस वृद्धि को नई ऊंचाई दी है.

2025-26 में रक्षा बजट ₹6.81 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है, जो 2013-14 के ₹2.53 लाख करोड़ के मुकाबले एक बड़ी छलांग है. इस बजट में 75% हिस्सा स्वदेशी रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए तय किया गया है.

आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रमुख पहलकदमियां

iDEX (Innovations for Defence Excellence): 2018 में शुरू हुई इस योजना के तहत 619 स्टार्टअप और MSMEs को जोड़ते हुए 430 से अधिक समझौते हुए हैं. स्मार्ट ब्रीदिंग सिस्टम, ऑटोनोमस व्हीकल्स, QKD सिस्टम जैसी कई नई तकनीकों का विकास किया गया है.

ड्रोन सेक्टर में PLI योजना: 2021 में शुरू इस योजना के चलते ‘नगस्त्र-1’ और ‘स्काईस्ट्राइकर’ जैसे ड्रोन विकसित हुए, जो ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मन पर सटीक निशाना लगाने में कारगर रहे. भारत अब 2030 तक ग्लोबल ड्रोन हब बनने की ओर अग्रसर है.

MAKE-I, MAKE-II, MAKE-III: इन कैटेगरी के तहत भारत में रक्षा प्रणालियों की डिजाइनिंग से लेकर उत्पादन तक सब कुछ स्वदेशी कंपनियों द्वारा किया जा रहा है. MAKE-I में 70% तक सरकारी वित्तीय सहायता दी जाती है.

SRIJAN पोर्टल: अगस्त 2020 में शुरू हुआ यह पोर्टल अब तक 38,000 में से 14,000 से अधिक विदेशी उत्पादों को देश में ही निर्मित करने का रास्ता बना चुका है.

Positive Indigenisation Lists: पांच सूचियों में अब तक 5,500 से ज्यादा वस्तुओं को शामिल कर 3,000 से अधिक का स्वदेशीकरण पूरा किया गया है — जिनमें असॉल्ट राइफल्स, कॉर्वेट्स, LCH और रडार जैसी प्रणालियां शामिल हैं.

रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर और वैश्विक निर्यात

तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में बनाए गए दो रक्षा औद्योगिक गलियारों में अब तक ₹8,658 करोड़ का निवेश हो चुका है. भविष्य में ₹53,439 करोड़ के निवेश की संभावना है. भारत का रक्षा निर्यात 2013-14 में ₹686 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में ₹21,083 करोड़ तक पहुंच गया है, जिसमें अमेरिका प्रमुख आयातक देश बनकर उभरा है.

ऑपरेशन सिंदूर में ‘नगस्त्र-1’ और ‘स्काईस्ट्राइकर’ ड्रोन ने दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखी और सटीक हमले किए. स्वदेशी ‘आकाश’ मिसाइल सिस्टम ने यूएवी, फाइटर जेट, बैलिस्टिक मिसाइल जैसे तमाम खतरों को बेअसर किया. पिनाका रॉकेट लॉन्चर ने मात्र 44 सेकंड में 72 रॉकेट दाग कर दुश्मन को जवाब दिया. विदेशी तकनीकें इस समय परीक्षण में कमजोर साबित हुईं.

नीतिगत सुधार और निवेश को बढ़ावा

FDI में ढील: 2020 में रक्षा क्षेत्र में FDI को 74% तक ऑटोमैटिक रूट और इससे अधिक पर सरकारी अनुमति के जरिए मंजूरी दी गई.

TATA Aircraft Complex, वडोदरा: 56 C-295 विमानों में से 40 का निर्माण भारत में किया जाएगा.

Defence Testing Infrastructure Scheme (DTIS): आठ ग्रीनफील्ड टेस्टिंग लैब्स की स्थापना का कार्य प्रगति पर है.

Manthan & Aero India 2025: बेंगलुरु में आयोजित इस कार्यक्रम में नौ iDEX प्रोजेक्ट्स समेत 33 स्वदेशी रक्षा उत्पाद प्रदर्शित किए गए.

आर्थिक और सामरिक प्रभाव

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता ने रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया है, तकनीकी नवाचार को प्रेरित किया है और देश की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न केवल भारत की सामरिक ताकत का प्रतीक बना बल्कि यह दुनिया को यह संदेश भी दे गया कि भारत अब रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर और वैश्विक नेतृत्व के लिए तैयार है.

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-भारत एक्सप्रेस



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