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काव्यांजलि: महाकवि नीरज सम्मान 2024 में बोले पद्म श्री सुरेंद्र शर्मा- नीरज जी गीत विधा के नींव के पत्थर और गुंबद दोनों थे

सुरेंद्र शर्मा ने कहा- कोई फर्क नहीं पड़ता राजा कौरव हो या पांडव, जनता तो बेचारी द्रौपदी है, कौरव राजा हुए तो चीरहरण के काम आएगी और पांडव राजा हुए तो जुए में हार जाएगी.

Surendra Sharma

पद्म श्री सुरेंद्र शर्मा.

कवि, गीतकार और लेखक गोपाल दास ‘नीरज’ की छठी पुण्यतिथि के मौके पर राजधानी दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में काव्यांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें फिल्म, राजनीति, खेल, मीडिया और उद्योग जगत की तमाम हस्तियां मौजूद रहीं.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पद्म श्री सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि “मेरा नीरज जी से परिचय कवि सम्मेलन के समाप्त होने के बाद का रहा है. कवि सम्मेलन को बनाने में तीन लोगों का हाथ रहा. हास्य में काका हाथरसी, नीरस में बालकवि बैरागी और गीत में नीरज जी, लेकिन वो इस नींव के पत्थर हैं. नीरज जी एकमात्र ऐसे कवि थे, जो गीत विधा के नींव के पत्थर भी रहे और गुंबद भी. ऐसा बहुत कम होता है. मैं उनका रेलमंत्री था, क्योंकि वह टिकट रिजर्वेशन का काम मुझे सौंप देते कि यहां से वहां जाना है.”

जनता तो बेचारी है- सुरेंद्र शर्मा

सुरेंद्र शर्मा ने आगे कहा कि “आज जावेद भाई ने इस सम्मान (महाकवि नीरज सम्मान-2024) को सम्मानित किया है.” उन्होंने इस दौरान कहा कि किसी ने मुझसे कहा कि चुनाव लड़ लो, तो मैंने कहा कि मैं चुनाव नहीं लड़ता, क्योंकि जब देश की जनता को प्यार से लड़कर जीत लिया हो तो हमें चुनाव लड़कर नहीं जीतना है. हम कलाकार लोग तो प्यार से जीतते हैं. राजनीति में सबसे बड़ी बात ये है कि कोई फर्क नहीं पड़ता, इस देश में राजा रावण हो या राम, रावण राजा हुआ तो वनवास से चोरी चली जाएगी और कोई फर्क नहीं पड़ता राजा कौरव हो या पांडव, जनता तो बेचारी द्रौपदी है, कौरव राजा हुए तो चीरहरण के काम आएगी और पांडव राजा हुए तो जुए में हार जाएगी. कोई फर्क नहीं पड़ता इस देश में कोई राजा हिंदू हो या मुसलमान, जनता तो बेचारी लाश है, हिंदू राजा हुआ तो जला दी जाएगी और मुसलमान राजा हुआ तो दफना दी जाएगी.”

 

तुम्हारे पांव ने जमीन तो नहीं छोड़ी

सुरेंद्र शर्मा ने आगे कहा कि “आप फिल्मों में हैं, लेकिन एक बात कभी मत भूलना, कितनी भी ऊंचाई पर रहो, लेकिन ये देखते रहना कि तुम्हारे पांव ने जमीन तो नहीं छोड़ी. जमीन से जुड़ी रहकर तैयारी करोगे तो आप स्थायी रहोगे, क्योंकि ऊंचाई होती है पतंग की. ऊंचाई होती है पेड़ की, क्योंकि जितना बड़ा होता है, उतना ही धरती में गड़ा होता है. पतंग की ऊंचाई होती है, लेकिन डोर किसी और के हाथ में होती है, जब चाहे खींचकर नीचे ला दे, जब चाहे किसी से लड़ा दे, इसलिए ये आप तय कीजिए कि पेड़ की तरह ऊंचाई पाना चाहते हो या फिर पतंग की. पेड़ की ऊंचाई पाने के लिए धरती में गड़ना जरूरी है और पतंग की ऊंचाई पाने के लिए किसी के हाथ में डोर देना जरूरी है.

गोपालदास ट्रस्ट के संरक्षक हैं सीएमडी उपेंद्र राय

बता दें कि ‘नीरज सम्मान समारोह’ का आयोजन भारत एक्‍सप्रेस के चेयरमैन, एमडी एवं एडिटर इन चीफ उपेंद्र राय और गोपाल दास नीरज के पुत्र मृगांक प्रभाकर की ओर से किया गया. कार्यक्रम के आयोजन में प्रेस क्लब के अलावा हिंदी अकादमी और महाकवि गोपालदास नीरज फाउंडेशन ट्रस्ट भी शामिल था. सीएमडी उपेंद्र राय इस ट्रस्ट के संरक्षक हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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