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PM मोदी ने श्रील प्रभुपाद की जयंती पर टिकट-सिक्का जारी किया, बोले- ‘आपके चेहरे पर रामलला विराजमान की खुशी’

PM Modi on Srila Prabhupada 150 birth anniversary: पीएम मोदी ने आज श्रील प्रभुपाद की 150वीं जयंती पर कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि श्रील प्रभुपाद ज्ञान और भक्ति का संगम थे.

PM Modi on Srila Prabhupada 150 birth anniversary

पीएम मोदी ने श्रील प्रभुपाद के जयंती कार्यक्रम में हिस्सा लिया.

PM Modi on Srila Prabhupada 150 birth anniversary: पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में आध्यात्मिक गुरु श्रील प्रभुपाद की 150वीं जयंती के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे. इस दौरान उन्होंने गुरु के सम्मान में एक स्मारक टिकट और सिक्का जारी किया.

इस दौरान पीएम मोदी ने वहां मौजूद संतो और अन्य लोगों को संबोधित किया. मोदी ने कहा कि अब युवा स्पिरिचुएलिटी और स्टार्टअप को एक साथ देख रहे हैं. सैकड़ों वर्षों की प्रतीक्षा के बाद भव्य राम मंदिर का सपना पूरा हुआ है.

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सैकड़ों साल के बाद भव्य राम मंदिर का सपना पूरा हुआ

पीएम मोदी ने कहा कि मैं श्रील प्रभुपाद को नमन करता हूं. उनके अनुयायियों को 150वीं जयंती पर बधाई देता हूं. आज मुझे उनकी स्मृति में सिक्का जारी करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. ये जयंती हम ऐसे समय में मना रहे हैं जब कुछ दिनों पहले ही सैकड़ों साल के बाद भव्य राम मंदिर का सपना पूरा हुआ. आज आपके चेहरे पर उल्लास का कारण भी रामलला के विराजमान होने की खुशी है.

मैं इन परंपराओं में पला-बढ़ा इंसान हूं

पीएम ने चैतन्य महाप्रभु का जिक्र करते हुए कहा कि वे कृष्ण भक्ति के प्रतिमान थे. उन्होंने कृष्णभक्ति को जनसामान्य के लिए सुलभ बना दिया. मैं इन परंपराओं में पला-बढ़ा इंसान हूं. भजन-कीर्तन चलते थे तो मैं किनारे बैठता था, लेकिन मैं जुड़ता नहीं था. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ लेकिन उनकी लीलाओं का विस्तार द्वारका तक हुआ था. गुजरात नरसी मेहता का जन्म स्थान है. ईश्वर की भक्ति ऋषियों का दिया महान दर्शन है. यह भक्ति का परिणाम है कि युद्ध के मैदान में खड़े अर्जुन गांडीव उठा लेते हैं.

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जानें कौन हैं आचार्य श्रील प्रभुपाद

बता दें कि आचार्य श्रील प्रभुपाद गौड़ीय मिशन के संस्थापक थे. इन्होंने वैष्णव आस्था के प्रचार प्रसार में बड़ी भूमिका निभाई. उन्होंने हरिनाम कीर्तन कर मानव कल्याण का रास्ता जन-जन तक पहुंचाया. इसके अलावा उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का प्रचार प्रसार करने के लिए इस्काॅन मंदिर की स्थापना भी की थी. आज देश समेत दुनिया भर में कृष्ण भक्ति को इस्काॅन के सैकड़ों मंदिर हैं.

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