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नेपाल के इतिहास का सबसे दर्दनाक हादसा: एक चूक, 72 जिंदगियां खत्म… पढ़ें Yeti Airlines Flight 691 की दिल दहला देने वाली कहानी

Yeti Airlines Flight 691 Crash: एक मामूली सी चूक, और यति एयरलाइंस फ्लाइट 691 कुछ ही पलों में तबाह हो गई. नेपाल के इतिहास के सबसे दर्दनाक हादसे की ये कहानी रहस्य और त्रासदी से भरी है.

Yeti Airlines Flight 691

Yeti Airlines Flight 691 Crash: 15 जनवरी 2023 का दिन नेपाल के लिए एक काले दिन के रूप में दर्ज हो गया. उस दिन, यति एयरलाइंस की फ्लाइट 691, जो काठमांडू से पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए रवाना हुई थी, एक भयानक हादसे का शिकार हो गई. इस दुर्घटना ने 72 लोगों की जान ले ली और पूरे देश को गम और सदमे में डाल दिया. आइए, इस दुर्घटना के घटनाक्रम और इसके पीछे की वजहों पर नजर डालते हैं.

सुखद शुरुआत का दर्दनाक अंत

इस दिन की शुरुआत काठमांडू के त्रिभूवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हुई. यति एयरलाइंस की फ्लाइट 691, एक 16 साल पुराना विमान था, जिसे पहले भारत की किंगफिशर एयरलाइंस और फिर थाईलैंड की नोक एयरलाइंस द्वारा संचालित किया गया था. इसे नेपाल की यति एयरलाइंस ने 2019 में खरीदा था. फ्लाइट के फर्स्ट ऑफिसर अंजू खातिवारा के लिए यह उड़ान खास थी, क्योंकि यह उनकी अंतिम ट्रेनिंग उड़ान थी. इसके बाद उन्हें कैप्टन के पद पर प्रमोशन मिलने वाला था.

फ्लाइट में कुल 68 यात्री और 4 क्रू मेंबर सवार थे. इनमें 4 भारतीय पर्यटक भी शामिल थे, जो अपनी इस यात्रा को सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीम कर रहे थे. सुबह 10:33 बजे, विमान ने त्रिभूवन एयरपोर्ट से अपनी उड़ान भरी. यह उस दिन की तीसरी उड़ान थी और लगभग 28 मिनट में पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड करने की योजना थी.

पोखरा एयरपोर्ट: रनवे 30 से रनवे 12 की ओर

पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट हाल ही में 1 जनवरी 2023 को उद्घाटित किया गया था. एयरपोर्ट पर दो रनवे थे—रनवे 30 और रनवे 12. काठमांडू से आने वाली फ्लाइट्स आमतौर पर रनवे 30 पर लैंड करती थीं, क्योंकि यह एक सीधा मार्ग था. लेकिन, कैप्टन कमल कैसी ने एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) से रनवे 12 पर लैंड करने की अनुमति मांगी. उनकी मंशा थी कि फर्स्ट ऑफिसर अंजू को इस रनवे पर भी लैंडिंग का अनुभव मिले.

रनवे 12 पर लैंडिंग करना आसान नहीं था. इसके लिए विमान को पहाड़ों के बीच से गुजरते हुए, निचली ऊंचाई पर शार्प टर्न लेना पड़ता था. लेकिन कैप्टन कमल के पास 22,000 घंटे का उड़ान अनुभव था, और एटीसी ने उनकी रिक्वेस्ट को मंजूरी दे दी.

तकनीकी उपकरण और पायलट की गलती

फ्लाइट का संचालन एक एटीआर 72-500 विमान से हो रहा था. इस विमान में पायलटों के लिए कई तरह के लीवर और उपकरण थे. इनमें ब्रेक लीवर, पावर लीवर, फ्लैप लीवर और कंडिशनिंग लीवर शामिल थे. कंडिशनिंग लीवर विमान के प्रोपेलर्स को नियंत्रित करता है. इसे बैकवर्ड पुश करने से प्रोपेलर्स फोर्स उत्पन्न करना बंद कर देते हैं.

10:56 बजे, फ्लाइट लैंडिंग के लिए तैयारी कर रही थी. फर्स्ट ऑफिसर अंजू ने ऑटोपायलट मोड को डिसेबल कर दिया और फ्लैप को 15 डिग्री पर सेट किया. जब विमान की गति 150 नॉट पर पहुंची, तो कैप्टन कमल ने फ्लैप को 30 डिग्री पर सेट करने के लिए कहा. लेकिन, गलती से उन्होंने फ्लैप लीवर की जगह कंडिशनिंग लीवर को पुश कर दिया.

खतरे से अंजान थे दोनों पायलट

इस गलती के बाद प्रोपेलर्स ने फोर्स उत्पन्न करना बंद कर दिया, लेकिन दोनों पायलट इस स्थिति से अंजान थे. इंजन की पावर 25 प्रतिशत से शून्य हो गई, और विमान तेजी से नीचे गिरने लगा. कैप्टन और फर्स्ट ऑफिसर ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

दुर्घटना और मौत का मंजर

10:57 बजे, फ्लाइट रनवे से मात्र 1 मिनट की दूरी पर थी. लेकिन इंजन पावर की कमी और फ्लैप के गलत सेट होने की वजह से विमान का लेफ्ट विंग फेल हो गया. इससे विमान तेजी से बाईं ओर मुड़ गया और एक जोरदार धमाके के साथ जमीन पर गिरकर आग के गोले में बदल गया.

इस भयानक हादसे में सभी 72 लोगों की जान चली गई. मृतकों में फर्स्ट ऑफिसर अंजू खातिवारा, कैप्टन कमल कैसी, 4 भारतीय पर्यटक और अन्य यात्री शामिल थे.


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जांच और सबक

इस हादसे के बाद, नेपाल सरकार ने एक उच्च-स्तरीय जांच समिति का गठन किया. प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट की गलती और कंडिशनिंग लीवर के गलत उपयोग को हादसे का प्रमुख कारण बताया गया. यति एयरलाइंस फ्लाइट 691 का हादसा न केवल नेपाल के इतिहास का सबसे दर्दनाक हवाई हादसा है, बल्कि यह हवाई सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी एक कड़ा संदेश है. यह घटना बताती है कि अत्यधिक अनुभव और तकनीकी जानकारी के बावजूद, एक छोटी सी चूक कितनी बड़ी त्रासदी ला सकती है.

-भारत एक्सप्रेस



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