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पुष्कर सिंह धामी बने भाजपा शासन के सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड की राजनीति को दी नई दिशा

Uttarakhand News: उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चार वर्षों की विकास यात्रा ने राज्य को राजनीतिक स्थायित्व, आर्थिक मजबूती, सामाजिक समरसता और सुशासन की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया.

Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami

पुष्कर सिंह धामी, सीएम, उत्तराखंड

Uttarakhand News: 4 जुलाई 2021 को जब युवा, ऊर्जावान और दूरदर्शी नेता पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तब यह केवल एक राजनीतिक दायित्व का हस्तांतरण नहीं था, बल्कि एक नए युग की शुरुआत थी. तब बहुतों ने इसे एक प्रयोग के रूप में देखा, लेकिन चार वर्षों के भीतर ही यह प्रयोग उत्तराखण्ड की राजनीति में स्थायित्व, सेवा और संकल्प का सबसे सशक्त उदाहरण बन गया. पुष्कर धामी अब केवल भाजपा के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्यमंत्री नहीं हैं, बल्कि वे उत्तराखण्ड के राजनीतिक इतिहास के दूसरे सबसे दीर्घकालीन मुख्यमंत्री के रूप में भी अपनी अमिट छवि स्थापित कर चुके हैं.

यह यात्रा मात्र समय की नहीं रही, यह उस गुणवत्ता की यात्रा रही है, जो शासन, प्रशासन और जनकल्याण की कसौटियों पर खरी उतरती है. यह सुचिता, संकल्प और सतत सेवा की वह निरंतर धारा है, जिसने उत्तराखण्ड को विकास की नई परिभाषा दी है. बीते चार वर्षों में प्रदेश की पहचान एक स्थिर और मजबूत नेतृत्व वाले राज्य के रूप में बनी है, जहाँ हर नीति, हर निर्णय और हर पहल में जनता का हित सर्वोपरि रहा.

इन चार वर्षों को यदि ठोस मापदंड पर परखा जाए, तो वह है ‘सुचिता के दस स्तंभ’. यही वे आधार हैं, जिन पर आज का उत्तराखण्ड मजबूती से खड़ा है. ये स्तंभ केवल शासन की उपलब्धियां नहीं, बल्कि धामी के नेतृत्व की वैचारिक स्पष्टता, प्रशासनिक ईमानदारी और भविष्य की प्रतिबद्ध दृष्टि के जीवंत प्रतीक हैं. आज जब उत्तराखण्ड अपने स्वर्णिम भविष्य की ओर तेज़ी से अग्रसर है, तब यह कहना अनुचित नहीं होगा कि यह राज्य अब एक नई चेतना, नए विश्वास और नए युग की ओर आगे बढ़ चुका है जिसे गढ़ा है एक युवा नेतृत्व ने, अपने पूरे समर्पण और स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ.

आर्थिक सुचिता: उत्तराखण्ड को दी वित्तीय मजबूती की नई पहचान

धामी सरकार ने उत्तराखण्ड की वित्तीय सेहत को न केवल संजीवनी दी, बल्कि उसे राष्ट्रीय मानचित्र पर अग्रणी बना दिया. छोटे राज्यों की श्रेणी में राज्य ने वित्तीय प्रदर्शन में गोवा के बाद द्वितीय स्थान प्राप्त किया, जो मुख्यमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व का जीवंत प्रमाण है. राज्य का वार्षिक बजट ₹1 लाख करोड़ के पार पहुंच गया है. ₹3.56 लाख करोड़ के निवेश समझौते हुए, जिनमें से ₹1 लाख करोड़ के प्रस्ताव धरातल पर आ चुके हैं. राज्य सरकार ने औद्योगिक विकास को नया आयाम देने के लिए हरिद्वार, पंतनगर, सितारगंज और कोटद्वार में औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार किया है, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार और प्रदेश को राजस्व में बड़ी वृद्धि मिल रही है.

काशीपुर में एरोमा पार्क और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना और खुरपिया फार्म को स्मार्ट औद्योगिक शहर के रूप में विकसित करना, उत्तराखण्ड को हाई-वैल्यू इंडस्ट्रीज का नया गढ़ बना रहा है. सरकार ने 50 MSME क्लस्टर के साथ-साथ नई MSME, लॉजिस्टिक्स और स्टार्टअप नीतियों को लागू कर युवा उद्यमियों और स्वरोजगार की दिशा में ठोस रास्ते खोले हैं. यह औद्योगिक परिवर्तन केवल आर्थिक विकास नहीं बल्कि एक आत्मनिर्भर और नवाचार आधारित उत्तराखण्ड की मजबूत नींव है.

सामाजिक सुचिता: समरसता, सुरक्षा और सशक्तिकरण का मजबूत आधार

उत्तराखण्ड ने सामाजिक समरसता, समानता और न्याय के क्षेत्र में ऐतिहासिक पहल करते हुए पूरे देश को एक नई दिशा दिखाई है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना. समाज विरोधी गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण स्थापित करते हुए धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया गया. लव जिहाद, लैंड जिहाद और थूक जिहाद जैसी घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाया गया है. यह कदम राज्य में सांस्कृतिक और सामाजिक संतुलन बनाए रखने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ है. जनभावनाओं के प्रति अपनी निष्ठा के तहत धामी सरकार ने भू-कानून को सख्त बनाकर प्रदेश की ज़मीन को भू-माफियाओं से सुरक्षित करने की दिशा में साहसिक कदम उठाया.

मातृशक्ति के सशक्तिकरण के लिए सरकार ने लखपति दीदी योजना के अंतर्गत लगभग 1.5 लाख महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाया है. महालक्ष्मी किट योजना, पेंशन भोगियों का घर पर ही वेरिफिकेशन और वृद्ध एवं असहाय जनों के लिए संचालित योजनाएं समाज के हर वर्ग तक सम्मानजनक और समावेशी विकास पहुंचाने का प्रमाण हैं. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से प्रदेश के 60 लाख से अधिक नागरिक लाभान्वित हुए हैं, जबकि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 9 लाख से अधिक किसानों को आर्थिक सहायता मिल रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 55,000 गरीबों को आवास देने की दिशा में कार्य तेज़ी से जारी है और PM-ग्रामीण आवास योजना में 18,602 अतिरिक्त आवास स्वीकृत किए गए हैं.

सामाजिक सुचिता: समरसता, सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण

राज्य सरकार ने किसानों को ₹3 लाख तक और महिला स्वयं सहायता समूहों को ₹5 लाख तक ब्याज रहित ऋण तथा फार्म मशीनरी बैंक के ज़रिए 80% तक सब्सिडी पर आधुनिक कृषि उपकरण उपलब्ध करा कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा दी है. निःशुल्क गैस रिफिल योजना के तहत अंत्योदय परिवारों को साल में 3 मुफ्त सिलेंडर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे रसोई तक राहत पहुंच रही है. हाउस ऑफ हिमालयाज जैसी अभिनव पहल ने स्थानीय उत्पादों को ब्रांडिंग और वैश्विक बाज़ार से जोड़ने का काम किया है.

धामी सरकार के प्रयासों से राज्य की सांस्कृतिक चेतना को सशक्त करते हुए वर्ष 2024 में 48 लाख और 2025 में अब तक 38 लाख तीर्थ यात्री चारधाम यात्रा कर चुके हैं और इस वर्ष भी यात्रा नए कीर्तिमान स्थापित करेगी. यह सामाजिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत संगम है, जिसे धामी सरकार सामाजिक सुचिता के आधार स्तंभों पर आगे बढ़ा रही है.

राजनीतिक सुचिता: स्थायित्व और भरोसे की नई परिभाषा

उत्तराखण्ड में लंबे समय बाद राजनीतिक स्थायित्व की वापसी हुई है. नेतृत्व संकट और सत्ता की खींचतान से गुजरते इस पर्वतीय राज्य को अब स्पष्ट दिशा और मजबूत सरकार मिली है. धामी सरकार की सबसे बड़ी ताक़त उसकी राजनीतिक सुचिता रही है जहां नीति में पारदर्शिता है, कार्यशैली में समर्पण और लक्ष्य केवल जनकल्याण है. सत्ता के केंद्र में खड़े युवा नेतृत्व ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब विचार स्पष्ट हों और इरादे मजबूत, तो सुशासन एक स्वाभाविक परिणाम बन जाता है.

प्रधानमंत्री मोदी के भरोसे का नेतृत्व

उत्तराखण्ड के इस युवा नेतृत्व को केवल प्रदेश की जनता का ही नहीं, बल्कि केन्द्र के शीर्ष नेतृत्व का भी पूर्ण समर्थन प्राप्त है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं ने अनेक मंचों से धामी की कार्यशैली और दूरदर्शिता की सार्वजनिक सराहना की है. यह विश्वास केवल शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि उत्तराखण्ड के लिए घोषित की जा रही नीतियों, योजनाओं और केंद्र से मिल रहे विशेष सहयोग में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है. धामी अब सिर्फ एक मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि उदाहरण हैं कि जब नेतृत्व भरोसे पर टिका हो, तो राज्य आत्मविश्वास से भर उठता है.

विकास की सुचिता: स्वर्णिम भविष्य के उत्तराखण्ड की नींव

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड के विकास की जो सुचिता आधारित रोडमैप तैयार किया है, वह केवल वर्तमान नहीं, बल्कि आगामी दशकों की बुनियाद है. नीति आयोग द्वारा जारी SDG (सतत विकास लक्ष्य) इंडिया इंडेक्स 2023-24 में उत्तराखण्ड ने 79 अंकों के साथ देशभर में पहला स्थान प्राप्त कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है. राज्य के दोनों प्रमुख तीर्थ श्री केदारनाथ और श्री बदरीनाथ धाम का पुनर्निर्माण ऐतिहासिक गति से आगे बढ़ रहा है. श्री केदारनाथ धाम में ₹750 करोड़ से पुनर्निर्माण कार्य प्रगति पर है, वहीं श्री बदरीनाथ धाम के लिए ₹550 करोड़ की महानिर्माण योजना पर कार्य प्रारंभ हो चुका है.

इसके साथ ही कुमाऊं क्षेत्र के धार्मिक स्थलों के पुनरुद्धार के लिए मानसखण्ड मंदिर माला मिशन चलाया जा रहा है. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ₹2430 करोड़ की लागत से गौरीकुंड–केदारनाथ और गोविंदघाट–हेमकुण्ट साहिब रोपवे का निर्माण भी प्रारंभ हो गया है, जिससे दुर्गम यात्राएं सहज और सुरक्षित होंगी.

केंद्र से समर्थन: पीएम मोदी के भरोसे का प्रतीक बना उत्तराखण्ड

₹16,000 करोड़ से अधिक की लागत वाली 125 किमी लंबी ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर कार्य तीव्र गति से चल रहा है, जो पर्वतीय क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी. चारधाम ऑलवेदर रोड परियोजना अपने अंतिम चरण में है, जबकि दिल्ली–देहरादून एलिवेटेड रोड का लोकार्पण शीघ्र होने जा रहा है. यातायात को गति देने हेतु मझौला–खटीमा और सितारगंज–टनकपुर मार्गों को फोरलेन किया जा रहा है.

हवाई संपर्क के विस्तार में भी राज्य अग्रणी बना है 13 हेलीपोर्ट, जौलीग्रांट अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और पंतनगर ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के उन्नयन कार्य तेज़ी से प्रगति पर हैं. शहरी विकास में अमृत योजना के अंतर्गत ₹593 करोड़ की लागत से 7 शहरों में 151 योजनाएं (जल, सीवरेज, ड्रेनेज) चलाई जा रही हैं. जल जीवन मिशन के तहत हर घर को ₹1 में जल कनेक्शन, लिफ्ट इरिगेशन की योजनाएं, जमरानी बांध परियोजना की स्वीकृति और सौंग नदी परियोजना को केंद्र से मंजूरी जैसे कदम राज्य को विकास के अगले पायदान पर ले जाने वाली संरचनात्मक क्रांति का प्रमाण हैं.

वीरों के सम्मान की सुचिता: सैनिक परंपरा को मिला समुचित सम्मान

उत्तराखण्ड जो देश की सेनाओं में सबसे अधिक सैनिक भेजने वाले राज्यों में शामिल है, वहां वीरों के सम्मान और शहीदों के प्रति कृतज्ञता की भावना को नई ऊंचाई पर ले जाने का कार्य मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हुआ है. स्वयं एक सैनिक पुत्र होने के नाते मुख्यमंत्री धामी ने सैनिक परंपरा और राष्ट्रसेवा के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा को नीतियों में परिवर्तित किया. सरकार ने शहीदों के परिवारों के लिए अनुग्रह अनुदान को ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख कर दिया है, जो सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि बलिदान के प्रति एक सम्मानजनक नमन है. यह निर्णय शहीदों के परिजनों के लिए सुरक्षा और सम्मान दोनों का प्रतीक है. इसके साथ ही, दिव्यांग पूर्व सैनिकों के लिए ₹2 लाख प्रति वर्ष की वार्षिक सहायता राशि प्रदान की जा रही है.

केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई वन रैंक, वन पेंशन योजना का प्रभावी क्रियान्वयन भी उत्तराखण्ड में सुनिश्चित किया गया है, जिससे हज़ारों पूर्व सैनिकों को उनके सेवाकाल के अनुरूप पेंशन में वृद्धि का सीधा लाभ मिला है. यह नीतिगत संवेदनशीलता न केवल उत्तराखण्ड की सैन्य विरासत को सम्मान देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि धामी सरकार वीरता को केवल शब्दों में नहीं, बल्कि ठोस कार्यों में जी रही है. यह सुचिता आधारित राष्ट्रसेवा का वास्तविक उदाहरण है.

खेलों की सुचिता: हर गाँव से खिलाड़ी, हर खिलाड़ी को मंच

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड ने खेल क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है. राज्य सरकार की दूरदर्शी सोच और ठोस प्रयासों ने उत्तराखण्ड को खेल संस्कृति के केंद्र में स्थापित कर दिया है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है वर्ष 2023 में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों का भव्य और सफल आयोजन, जिसने राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई. खिलाड़ियों को सम्मान देने के साथ-साथ सरकार ने उन्हें संस्थागत समर्थन भी दिया है.

सरकारी नौकरियों में खिलाड़ियों को आरक्षण, खेल स्टेडियमों और प्रशिक्षण केंद्रों का निर्माण और आधुनिक सुविधाओं का विस्तार प्रदेश में खेलों को नई दिशा दे रहे हैं. खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं. 8 से 14 वर्ष के खिलाड़ियों को ₹1,500 और 14 से 18 वर्ष के खिलाड़ियों को ₹2,000 प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जा रही है. इसके साथ ही, प्रत्येक खिलाड़ी को ₹10,000 तक की सहायता राशि खेल उपकरणों के लिए प्रदान की जा रही है. ये सभी पहल राज्य के युवाओं में नई ऊर्जा का संचार कर रही हैं और उन्हें खेलों में भविष्य तलाशने का अवसर दे रही हैं.

ऊर्जा की सुचिता: पर्यावरणीय उत्तरदायित्व और आत्मनिर्भरता का समन्वय

सीएम धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड ने ऊर्जा क्षेत्र में पारदर्शिता, स्थिरता और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व को प्राथमिकता देते हुए सौर ऊर्जा को रणनीतिक रूप से अपनाया है. राज्य सरकार ने 1000 गांवों को सोलर ग्राम के रूप में विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है, जिससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की सुलभ आपूर्ति सुनिश्चित होगी, बल्कि हरित ऊर्जा के माध्यम से प्रदूषण रहित विकास को भी बढ़ावा मिलेगा. सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भी सरकार ने ठोस लक्ष्य तय किए हैं वर्ष 2025 तक 2000 मेगावाट और वर्ष 2027 तक 4000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का रोडमैप तैयार किया गया है. इस दिशा में ग्रिड और ऑफ-ग्रिड दोनों विकल्पों पर काम चल रहा है, जिससे पर्वतीय क्षेत्रों में भी ऊर्जा की उपलब्धता सशक्त बन सके.

राज्य सरकार द्वारा सोलर प्रोजेक्ट्स पर 70% तक की सब्सिडी दी जा रही है, ताकि आम नागरिक और किसान भी सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रेरित हो सकें. इससे न केवल ऊर्जा लागत में कमी आएगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार और उद्यमिता को भी बढ़ावा मिलेगा. इसके अतिरिक्त, सौभाग्य योजना के तहत 2.5 लाख से अधिक परिवारों को निःशुल्क विद्युत कनेक्शन प्रदान किए गए हैं, जिससे गरीब और दूरस्थ इलाकों में रहने वाले परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है. यह ऊर्जा की सुचिता, समावेशिता और सतत विकास की दिशा में उत्तराखण्ड सरकार का एक सशक्त और दूरदर्शी प्रयास है.

प्रतियोगी परीक्षाओं की सुचिता: युवाओं में भरोसे की नई रोशनी

पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड के युवाओं को एक ऐसी व्यवस्था दी है, जहां मेहनत और योग्यता ही सफलता की कुंजी बने. राज्य में लंबे समय से प्रतियोगी परीक्षाओं में फैले नकल तंत्र और भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए सरकार ने देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया, जो नकल कराने, पेपर लीक और परीक्षा प्रक्रिया को बाधित करने वाले हर व्यक्ति को कठोर दंड देने का प्रावधान करता है. इस कानून के अंतर्गत नकल माफिया पर कड़ा शिकंजा कसा गया और सैकड़ों दोषियों को सलाखों के पीछे भेजा गया. इस कड़े कदम ने युवाओं के मन से भय और अविश्वास को खत्म कर पारदर्शी परीक्षा व्यवस्था की नींव रखी.

सरकार की ईमानदार और निर्णायक कार्यशैली का परिणाम है कि अब तक 23,000 से अधिक युवा पारदर्शी और निष्पक्ष चयन प्रक्रिया के माध्यम से सरकारी सेवाओं में चयनित हुए हैं. यह केवल आंकड़ा नहीं बल्कि उन युवाओं के सपनों की सफलता है, जो वर्षों से एक ईमानदार परीक्षा प्रणाली की उम्मीद कर रहे थे. उत्तराखण्ड में अब नकल नहीं, मेहनत बोलती है यह बदलाव मुख्यमंत्री धामी के उस नेतृत्व का प्रमाण है जो युवाओं को न्याय और अवसर दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है.

सेवा, सुशासन और पारदर्शिता की सुचिता: प्रशासनिक ईमानदारी का धामी मॉडल

उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सेवा, सुशासन और पारदर्शिता को शासन की मूल भावना के रूप में स्थापित किया गया है. भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार ने युद्ध स्तर पर अभियान चलाया है, जिसके अंतर्गत टोल फ्री नंबर 1064 की स्थापना की गई जहां आम नागरिक सीधे भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज करा सकते हैं. केवल तीन वर्षों में 200 से अधिक भ्रष्टाचारियों पर कठोर कार्रवाई कर सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार के लिए कोई स्थान नहीं है. जनसंवाद को प्राथमिकता देते हुए मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1905 की शुरुआत की गई, जिसके माध्यम से हज़ारों नागरिकों की समस्याओं का समाधान त्वरित रूप से किया गया है.

प्रशासन को जनकेंद्रित और जवाबदेह बनाने की दिशा में सरकार ने अनेक प्रभावशाली पहल की हैं. तहसील दिवस, जनता दरबार, और सार्वजनिक सुनवाई कार्यक्रमों के माध्यम से जनता और प्रशासन के बीच सीधा संवाद स्थापित हुआ है. अपणि सरकार पोर्टल के ज़रिए 300 से अधिक सेवाएं ऑनलाइन की गई हैं, जिससे आम नागरिकों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते. वहीं DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से सभी सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों के खातों में पारदर्शी तरीके से भेजा जा रहा है. ये सभी प्रयास मुख्यमंत्री धामी के जनपक्षीय, पारदर्शी और ईमानदार शासन के संकल्प को साकार करते हैं जिसमें जनता ही केंद्र में है और सरकार जवाबदेही की नई मिसाल बन चुकी है.

स्वास्थ्य की सुचिता: चिकित्सा सेवा को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने का संकल्प

पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने चिकित्सा सुविधाओं को हर गांव, हर नागरिक तक पहुँचाने का ठोस प्रयास किया है. AIIMS ऋषिकेश में देश की पहली हेली एंबुलेंस सेवा शुरू कर राज्य ने आपातकालीन चिकित्सा सेवा में ऐतिहासिक कदम उठाया है. साथ ही किच्छा (ऊधम सिंह नगर) में AIIMS का सेटेलाइट सेंटर स्थापित किया जा रहा है, जिससे कुमाऊं क्षेत्र के लाखों लोगों को अत्याधुनिक इलाज की सुविधा नजदीक में ही मिल सकेगी. राज्यभर में 313 जन औषधि केंद्र संचालित हो रहे हैं, जहां जनमानस को बाज़ार मूल्य से 80% तक सस्ती दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं अब केवल सुविधा नहीं, बल्कि हर वर्ग के लिए सुलभ अधिकार बन रही हैं.

अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के तहत अब तक 59 लाख से अधिक लोगों को आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं, जिसके माध्यम से प्रत्येक पात्र नागरिक को ₹5 लाख तक की निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हो रही है. इसके साथ ही, प्रदेश के अस्पतालों में 207 प्रकार की पैथोलॉजिकल जांचों को पूरी तरह मुफ्त कर दिया गया है, जिससे हजारों मरीजों को समय पर जांच और उपचार मिल रहा है. सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल और मोबाइल माध्यमों से सशक्त किया है—हेल्थ एटीएम, मोबाइल मेडिकल यूनिट और टेलीमेडिसिन के माध्यम से इलाज अब दूरी का मोहताज नहीं रहा. यह सब मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में विकसित हो रहे जनकल्याणकारी, उत्तरदायी और सुलभ स्वास्थ्य मॉडल का प्रमाण है, जिसने उत्तराखण्ड को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अग्रणी बना दिया है.

नया उत्तराखण्ड : आत्मविश्वास की नई उड़ान

बीते चार वर्षों में उत्तराखण्ड ने जिस गति से विकास की ओर कदम बढ़ाए हैं, वह अपने आप में एक उदाहरण है. प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब नेतृत्व युवा हो, सोच दूरदर्शी हो और नीयत बेदाग हो, तो कोई भी राज्य संभावनाओं के शिखर तक पहुंच सकता है. मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में प्रदेश ने शासन की पारदर्शिता, प्रशासन की संवेदनशीलता और योजनाओं के धरातल पर क्रियान्वयन में अभूतपूर्व प्रगति की है. जनसरोकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने आमजन को विश्वास की वह शक्ति दी है, जिसकी आज हर राज्य को ज़रूरत है.

आज उत्तराखण्ड सिर्फ भौगोलिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि नीति, नवाचार और निष्पादन के स्तर पर भी देश के अग्रणी राज्यों की पंक्ति में खड़ा है. धामी मॉडल अब केवल एक प्रशासनिक शैली नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है जो बताता है कि कैसे युवा नेतृत्व, निर्णायक सोच और स्पष्ट विजन से कोई भी राज्य अपने भविष्य को आकार दे सकता है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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