Bharat Express

“बाबा नीब करौरी महाराज के आदर्शों और शिक्षा को पश्चिमी देश भी अपना रहे”, पुस्तक के विमोचन पर बोले नरेंद्र ठाकुर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र ठाकुर ने कहा कि भारत आध्यात्मिक संतों और ऋषियों की भूमि है.

बाबा नीब करौरी महाराज के संस्मरणों पर आधारित पुस्तक ‘महान संत नीब करौरी महाराज’ का विमोचन शुक्रवार यानी कि 16 फरवरी 2024 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र ठाकुर ने किया. इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रान्त प्रचार प्रमुख रीतेश अग्रवाल भी मौजूद रहे.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र ठाकुर ने कहा कि भारत आध्यात्मिक संतों और ऋषियों की भूमि है. नीब करौरी बाबा भी ऐसे ही महान संत थे. उन्होंने कहा कि बाबा नीब करौरी के पास जो भी भक्त आता वह उनसे राम-राम जपने का आग्रह करते थे. इससे समझा जा सकता है कि भगवान राम सदियों से भारत के संतों और ऋषियों के सबसे बड़े आराध्य देव रहे हैं. आज सारा देश राममय हो रहा है इसका श्रेय हमारे संत समाज को जाता है.

देश में सनातन संस्कृति का गौरव स्थापित हुआ

उन्होंने कहा अयोध्या में प्रभु श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होने से देश में सनातन संस्कृति का गौरव स्थापित हुआ है. इसी गौरव को बाबा नीब करौरी ने अपने पूरे जीवन में बना कर रखा और सारी दुनिया के लोगों को श्रीराम के साथ जुड़ने का आह्वान किया.

महान संत नीब करौरी महाराज पुस्तक के लोकापर्ण कार्यक्रम में नरेन्द्र ठाकुर ने कहा कि भारतीय समाज में संतों का हमेशा से सम्मान होता रहा है. प्राचीन काल में अनेक सिद्ध संत और ऋषि-मुनियों ने सतातन धर्म की शिक्षाओं का समाज में प्रसार किया. बाबा नीब करौरी महाराज के आदर्श और उनकी शिक्षाओं को आज पश्चिम जगत में भी लोग स्वीकार कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- Farmers Protest: किसानों के प्रदर्शन के बीच शंभू बॉर्डर पर तैनात सब इंस्पेक्टर की मौत, हाल ही में एक किसान ने तोड़ा था दम

उन्होंने कहा कि बाबा ने अपना पूरा जीवन महज एक कंबल में व्यतित किया. वह दिखावे और आडंबरों से दूर रहते थे. बाबा ने हनुमान जी के अनेकों मंदिरों का निर्माण कराया और जीवन में पूजा के महत्व और ईश्वरीय साधना को जरूरी बताया. नरेन्द्र ठाकुर ने कहा कि बाबा नीब करौरी जैसे संतों ने राष्ट्र और समाज की भलाई के लिए सभी को एक साथ जोड़ कर रखा. जातिगत भेदभाव को वह हिंदू धर्म के विपरित मानते थे.

-भारत एक्सप्रेस

Also Read