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RJD Foundation Day: कैसे अस्तित्‍व में आई थी आरजेडी? जानें किसने लालू को सुझाया था पार्टी का नाम

RJD Foundation day 2023 : राष्ट्रीय जनता दल (RJD) आज यानी बुधवार (05 जुलाई) को अपना 27वां स्थापना दिवस मना रही है. लालू प्रसाद यादव ने बिहार में आज से 27 साल पहले इस पार्टी का गठन किया था. जिस समय RJD का गठन किया गया, उस वक्त लालू यादव जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और बिहार के मुख्यमंत्री भी थे. RJD की स्‍थापना के कुछ ही बरसों में लालू यादव बिहार में सबसे ज्‍यादा दमखम वाले नेता बन गए, क्षेत्रीय पार्टी होने के बावजूद RJD का डंका देश की सियासत में भी खूब बजा.

RJD के गठन की कहानी दिलचस्‍प है, 5 जुलाई 1997 को राजधानी दिल्ली में लालू प्रसाद यादव की अगुवाई में रघुवंश प्रसाद सिंह, कांति सिंह सहित 17 लोकसभा सांसद और 8 राज्यसभा सांसद और बड़ी संख्‍या में उनके समर्थकों की भीड़ जुटी. वहां पहले तो खूब नारे लगे, और फिर कुछ देर के विचार-विमर्श के बाद ही लालू यादव को नई सियासी पार्टी की स्थापना के साथ ही अध्यक्ष चुन लिया गया. तब से लेकर आज तक लालू यादव ही इस पार्टी के अध्यक्ष का पद संभालते रहे हैं.

RJD के गठन के पीछे की वजह
RJD के गठन के पीछे की वजह लालू यादव पर बन रहा सियासी दवाब था. लालू यादव जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री भी थे और केंद्र में उनकी ही पार्टी के नेता पीएम पद पर थे. यानी केंद्र में एचडी देवगौड़ा की सरकार थी, देवगौड़ा को लालू खटक रहे थे, उसी दौरान चारा घोटाला के आरोपों के बीच सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने का फैसला लिया.

इस तरह अस्तित्‍व में आई RJD
चारा घोटाले का केस लालू यादव के राजनीतिक करियर पर ‘राहू’ की तरह सवार हो गया था. उसके शिकंजे से निकलने के लिए उन्‍होंने अपने समर्थकों को दिल्‍ली में जुटाया और 5 जुलाई 2023 को, यानी कि आज के दिन ही राष्ट्रीय जनता दल पार्टी की नींव रख ली. उनके संपर्क में आए 22 सांसदों में से 16 सांसद राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए. और, छह राज्यसभा के सांसदों ने भी लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व को स्वीकार कर लिया.

जानें किसने दिया था RJD का नाम?
लालू प्रसाद ने अपनी किताब गोपालगंज टू रायसीना में लिखा कि उन्हें अपनी पार्टी का नाम राष्ट्रीय जनता दल रखने का सुझाव रामकृष्ण हेगड़े ने दिया था. हेगड़े वही नेता हैं, जिन्हें लालू यादव ने जनता दल के अध्यक्ष रहते हुए देवगौड़ा के कहने पर पार्टी से निकाल दिया था.

फिलहाल राष्ट्रीय जनता दल की कमान अप्रत्यक्ष रूप से लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव के हाथों में है, लेकिन आज भी इसे लालू प्रसाद यादव की पार्टी के तौर पर देखा जाता है. एक बार मीडियाकर्मियों ने लालू प्रसाद यादव से पूछा था कि क्या आपकी पार्टी नेशनल पार्टी होगी? तो लालू ने कहा था- ओरिजिनल पार्टी होगी.

अचानक राबड़ी देवी को बना दिया सीएम
24 जुलाई, 1997 को लालू यादव ने एक और दांव चलते हुए अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार की मुख्‍यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया था. 1997 से लेकर साल 2005 तक राबड़ी देवी इस पद पर रहीं, बीच में सात दिनों के लिए नीतीश सत्‍ता में आए, लेकिन लालू ने फिर बाजी पलट दी. इसके अलावा इस पार्टी की 2015 से 2017 और 2022 से लेकर अब तक नीतीश कुमार के साथ सत्ता की साझेदारी है. वर्तमान में लालू के बेटे तेजस्वी यादव बिहार के उप मुख्यमंत्री हैं.

पहला चुनाव साल 2000 में लड़ा था
राष्ट्रीय जनता दल ने अपना पहला विधानसभा साल 2000 में लड़ा था, जिसमें ये पार्टी 243 में 115 सीटें जीतते हुए सरकार बनाने में कामयाब रही. उसके बाद साल 2005 के विधानसभा में इसे 75 सीटें मिली. उसके बाद साल 2010 के चुनाव में इसे मात्र 22 सीटों से संतोष करना पड़ा. 2009 से लेकर 2014 तक लालू की पार्टी के लिए सबसे खराब दौर रहा इस दौरान वो सत्ता से बाहर रही.

साल 2015 में लालू और नीतीश की जोड़ी एक साथ आई और बिहार विधानसभा में प्रचंड जीत के साथ सत्ता में वापसी की. 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में लालू के बेटे तेजस्वी ने राष्ट्रीय जनता दल का जादू बरकरार रखा, और सबसे बड़ी पार्टी बनाया.

वर्तमान में RJD की स्थिति
फिलहाल लोकसभा में राष्ट्रीय जनता दल का कोई सांसद नहीं है. मगर, राज्यसभा में इस पार्टी के 6 सदस्य हैं. इसके अलावा बिहार विधानसभा में यह सबसे बड़ा दल है, जिसके 79 विधायक हैं. विधान परिषद में 14 सदस्य हैं.

यह भी पढ़ें: अगर कांग्रेस ने दलित प्रधानमंत्री का दाव चल दिया तो?

Vijay Ram

वेब जर्नलिज्म में रचे-रमे. इनका हिंदी न्यूज वेबसाइट के क्रिएटिव प्रजेंटेशन पर फोकस रहा है. 2014 में राजस्थान पत्रिका-जयपुर से बतौर प्रशिक्षु शुरूआत हुई. उसके बाद 7-8 शहरों से होते हुए वनइंडिया हिंदी, एबीपी न्यूज समेत कई पोर्टल पर कार्य किया. जुलाई 2023 से भारत एक्सप्रेस में सेवाएं दीं. पत्रकारिता में बचपन से दिलचस्पी रही, अत: सन् 2000 तक के अखबारों, साप्ताहिक-मासिक पत्रिकाओं को संग्रहित किया. दो दशक से सनातन धर्म के पुराणों, महाभारत-रामायण महाकाव्यों (हिंदी संकलन) में भी अध्ययनरत हैं. धर्म-अध्यात्म, वायरल-ट्रेंडिंग, देश-विदेश, सैन्य-रणनीति और राजनीति की खबरों में रुचि है.

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