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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव होने में करीब एक साल का समय बचा हुआ है लेकिन प्रदेश में समाजवादी पार्टी अभी से रणनीति बनाने में जुट गई है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) जातिगत जनगणना (Caste Census) के मुद्दे को धार देने में लगे हुए हैं. सपा की तरफ से लगातार जनगणना कराने की मांग की जा रही है. इतना ही नहीं पार्टी गांव-गांव जाकर इस मुद्दे पर आंदोलन की तैयारी कर रही है. सपा की रणनीति में बीजेपी फंसती हुई नजर आ रही है.
दरअसल सपा की जनगणना की मांग का डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी समर्थन किया था. वहीं अब इसे बीजेपी के लिए झटका इसलिए माना जा रहा है क्योंकि बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी ने अखिलेश यादव के इस सबसे बड़े मुद्दे को अपना समर्थन दिया है. निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद (Sanjay Nishad) ने कहा कि जातीय जनगणना होनी चाहिए.
एक तरफ सपा पार्टी इस मुद्दों को जोर-शोर से उठा रही है तो वहीं योगी सरकार ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है. सीएम योगी से जब एक इंटरव्यू में उनसे इस बारे में पूछा गया था तो उन्होंने इसका घूमा-फिराकर जवाब दिया था. वहीं योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने इसका समर्थन कर बीजेपी की मुसीबतें बढ़ा दी है. संजय निषाद ने कहा कि “जातीय जनगणना होनी चाहिए, इससे सभी जातियों की सही संख्या सामने आ जायेगी”.
वहीं उनसे जब रामचरितमानस पर मचे बवाल को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने इशारों-इशारों में स्वामी प्रसाद मौर्य को अधर्मी तक कह दिया और कहा कि इसी तरह से दो-चार नेता सपा को और मिल जाएंगे तो पार्टी डूब जाएगी. कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने इस दौरान सपा के पूर्व सहयोगी दल सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर पर भी तीखा हमला किया है. उन्होंने कहा कि वो सुबह चाय कहीं और पीते हैं, दोपहर में कहीं और, शाम को कहीं और होते हैं. उनका कोई भरोसा नहीं है कि कल वह कहां रहेंगे.
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राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो सपा ने इस मुद्दे के साथ लोकसभा चुनाव की लड़ाई को 80 बनाम 20 का बना दिया है. दरअसल प्रदेश में 80 फीसद दलित और ओबीसी वर्ग है जबकि 20 फीसदी सवर्ण है. सपा अब इस मुद्दे पर खुलकर खेल रही है ताकि पार्टी के साथ ओबीसी और दलित वोटर जुड़ सकें. सपा के इस रणनीति से बीजेपी के मिशन 80 को झटका लगता दिख रहा है.
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