Bharat Express

Saree Cancer: क्या साड़ी पहनने से हो सकता है कैंसर? छिड़ी बहस, जानें क्या कहता है रिसर्च, पुरुषों को भी सलाह

विशेषज्ञ कहते हैं कि सिर्फ साड़ी ही नहीं बल्कि हर वो पहनावा जो गलत तरीके से पहना जाए या फिर टाइट बांधा जाए, उससे क्रॉनिक स्किन सेल कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है.

saree cancer

सांकेतिक तस्वीर

Saree Cancer: साड़ी एक ऐसा परिधान है जो न केवल भारत बल्कि विदेशो में भी लोगों का पसंदीदा परिधान बन चुका है. इस भारतीय परिधान का क्रेज तो फिल्मी सितारों में भी देखा जाता है. बढ़ते फैशन के साथ ही साढ़े 5 मीटर की साड़ी बांधने के तरीकों में भी बदलाव हुआ है और इसी फैशन के चलते साड़ी को सेक्सी परिधानों में भी शामिल किया गया है. तो वहीं मौजूदा समय में साड़ी बांधने को लेकर एक बड़ी बहस छिड़ गई है. माना जा रहा है कि अगर साड़ी को टाइट बांधते हैं तो इससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. हालांकि विशेषज्ञ जींस भी टाइट पहनने से मना करते हैं. ऐसे में जिनके लिए साड़ी पसंदीदा पहनावा है, उन लोगों में दहशत फैल गई है.

हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं कि सिर्फ साड़ी ही नहीं बल्कि हर वो पहनावा जो गलत तरीके से पहना जाए या फिर टाइट बांधा जाए, उससे क्रॉनिक स्किन सेल कैंसर (एससीसी) का खतरा बढ़ा सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि साड़ी को बांधने के लिए महिलाओं को पेटीकोट टाइट बांधना होता है, तो वहीं इसी तरह तमाम पुरुष डोरी वाला अंडरवियर यानी कच्छा भी पहनते हैं, जिसे टाइट बांधते हैं, इससे भी कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. इसको लेकर हाल हीमें कुछ रिसर्च हुए हैं, जिसमें बड़ा खुलासा हुआ है.

ये भी पढ़ें-Lok Sabha Election 2024: “किसानों को बना दिया जाएगा चीनी मिल का मालिक…”, सीएम योगी ने बढ़ाई मिल मालिकों की धड़कनें, जानें क्यों कहा ऐसा?

जानें टाइट कपड़ों के लिए क्या कहते हैं डाक्टर

मुंबई के आरएन कूपर अस्पताल में साड़ी बांधने से होने वाले कैंसर पर एक शोध किया गया है. इसको लेकर एक्सपर्ट की राय है कि अगर हम अधिक समय तक एक ही जगह के आस-पास टाइट कपड़ा लगातार पहनते हैं तो इससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. यदि त्वचा पर निशान हैं, जकड़न के कारण त्वचा लाल हो रही है. रगड़ी हुई त्वचा है और सांस लेने में परेशानी हो रही है तो तुरंत जांच कराएं. एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि इनरवियर, ब्रा व अंडरवियर भी बहुत टाइट न ही पहनें. अगर ऐसा करते हैं तो इसको लगातार ध्यान भी दें. वहीं एमडी मेडिसिन भोपाल डॉ. योगेंद्र श्रीवास्तव ने एक मीडिया रिपोर्ट्स में बताया कि साड़ी कैंसर के लिए साफ-सफाई भी जिम्मेदार है. वह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश और बिहार में महिलाएं साल भर लगातार साड़ी पहनती हैं. चूंकि इन इलाकों में अधिक गर्मी और नमी होती है. ऐसे में साड़ी पहनने के कारण पसीने और भीगने से निचला हिस्सा गीला हो जाता है. यही वजह है कि इस हिस्से में त्वचा कैंसर का खतरा अधिक होता है.

त्वचा की साफ-सफाई का रखें ख्याल

एक्सपर्ट कहते हैं कि सफाई और मौसम का ख्याल न रखने से त्वचा कोशिकाओं का कार्सिनोमा हो जाता है. महिलाओं में ऐसा महज एक प्रतिशत ही कैंसर होता है, जो कमर की त्चचा से फैल जाता है. ऐसे में जरूरी है कि त्वचा की साफ-सफाई का ख्याल रखें. शरीर के हर हिस्से में हवा लगने दें ताकि शरीर में नमी न बनी रहे.

भारत में इजाद हुआ साड़ी कैंसर शब्द

भारत एक ऐसा देश है जहां पर सबसे अधिक महिलाएं साड़ी या धोती पहनती हैं. इसीलिए भारत में ही साड़ी कैंसर शब्द इजाद हुआ. पेटीकोट के सहारे पहनी जाने वाली साड़ी कमर पर बांधी जाती है और लगातार एक ही जगह पर साड़ी पहनने से कमर पर निशान पड़ जाता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर इसका ध्यान न रखा जाए तो यही कैंसर का कारण बनता है.

कश्मीर में मिलते हैं कांगड़ी कैंसर

वहीं एक्सपर्ट कहते हैं कि कश्मीर में लगातार अंगीठी तापने की वजह से पेट और जांघों में लगातार गर्मी मिलती रहती है, जो कि कैंसर का कारण बनती है. इनको कांगड़ी कैंसर रोगी कहते हैं.

न पहनें टाइट जींस

एक्सपर्ट पुरुषों को टाइट जींस न पहनने की सलाह देते हैं. कैंसर चिकित्सक डॉ. पीके अग्रवाल बताते हैं कि बहुत टाइट जींस पहनने से पुरुषों में टेस्टिकुलर कैंसर हो जाता है. वह कहते हैं कि एक ही स्थान पर टाइट कपड़े बांधने से उस स्थान पर सतत ऑक्सीजन का प्रवाह रुक जाता है, जो कि कैंसर का कारण बनता है तो वहीं टाइट जींस पुरुषों में पेट के नीचे के हिस्से का तापमान बढ़ा देती है, जिससे शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है और टेस्टिकुलर कैंसर की ये बड़ी वजह हो सकती है.

एक प्रकार का त्वचा कैंसर ही है साड़ी कैंसर

एंड्रोमेडा कैंसर हॉस्पिटल, सोनीपत के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के चेयरमैन डॉ. दिनेश सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि कमर का कैंसर, जिसे ‘ साड़ी कैंसर’ या ‘ धोती कैंसर’ भी कहा जाता है, एक प्रकार का त्वचा कैंसर है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में 2011 में एक आर्टिकल प्रकाशित हुआ था, जिसमें कमर के कैंसर के दो मामलों की पहचान के बारे में बताया गया था. इसी के बाद से इसको लेकर भारत के लोगों में चिंता बढ़ गई थी.

-भारत एक्सप्रेस

Bharat Express Live

Also Read