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Kashmir: हाल के सालों में कश्मीर के पारंपरिक शिकारा पयर्टकों के आकर्षण का सबसे खास केंद्र बन गए हैं. इस साल पहले के मुकाबले शिकारा की संख्या में काफी इजाफा भी देखा गया है, क्योंकि इनकी मांग लगातार बढ़ रही है. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक मलिक निसार अहमद जैसे शिकारा कारीगर प्रसिद्ध डल झील पर अपनी 40 साल पुरानी फैक्ट्री में 40 से अधिक शिकारा को बनाने का काम कर रहे हैं.
शिकारा की मांग में वृद्धि को कश्मीर में आगंतुकों की बढ़ती संख्या को वजह बताया जा रहा है. इसमें डल झील पर शिकारा की सवारी एक शीर्ष आकर्षण बन गई है. चूंकि यह चलन और मजबूत ही हुआ है. ऐसे में निसार अहमद जैसे कारीगरों का काम काफी बढ़ गया है.
हालांकि, डिमांड जहां बिजनेस के लिए काफी अच्छा है, वहीं कारीगरों के लिए बड़ी चुनौती भी है. सबसे बड़ी कठिनाई लकड़ी की है. निसार को सबसे ज्यादा चुनौती चीड़ की लंबी लकड़ी हासिल करना है. हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद वह अपने ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं.
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इस साल की शुरुआत में कश्मीर में पर्यटन सीजन के साथ, शिकारा की मांग में वृद्धि पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने और इससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों की आय में वृद्धि करने के लिए तैयार है. निसार अहमद के कारखाने में निर्मित आकर्षक दाएसेन शिकारा, डल झील पर देखने योग्य है, जो कश्मीर की पारंपरिक नावों के स्थायी आकर्षण का एक तरह से वसीयतनामा है.
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