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कभी BJP को दुलारते तो कभी तेजस्वी को पुचकारते, किस राह पर नीतीश कुमार, अटकलों का लगा बाजार

Bihar Politics: पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में नीतीश ने कहा था कि “जब तक मैं जीवित हूं, दोस्ती और रिश्ते बने रहेंगे”. नीतीश के इस बयान के बाद राज्य के साथ-साथ देश की राजनीति में हंगामा बरपा है. नीतीश ने हालांकि, स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि मेरे बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है. लेकिन फिर भी बिहार में सत्ता परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई है. बता दें कि भले ही बिहार में नीतीश की पार्टी तीसरे नंबर पर बनी हो. लेकिन नीतीश की लोकप्रियता में कमी नहीं आई है.

नीतीश का स्पष्टीकरण

नीतीश ने कहा, ”मैंने बीजेपी से दोस्ती की बात नहीं की. मैं किए गए काम को याद करने की बात कर रहा था, लेकिन बयान का गलत मतलब निकाला गया. मैंने उन्हें मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने के पीछे किये गये प्रयासों और दबाव के बारे में बताया. हमने यहां यूनिवर्सिटी बनाने का दबाव बनाया. मैंने कभी नहीं कहा कि मैं भाजपा के साथ हूं. जो कुछ लिखा या दिखाया गया है उससे मुझे दुख हुआ है.”  नीतीश जब अपने दिए बयान पर सफाई दे रहे थे तो वो तेजस्वी को पुचकारते नजर आए. उन्होंने कहा कि अब यही हमारा सबकुछ है.

नीतीश ने पहले क्या कहा था?

बिहार के सीएम ने कहा था कि यहां हमारे साथ जो भी लोग हैं वे हमारे मित्र हैं. हमारी दोस्ती कभी ख़त्म नहीं होगी. जब तक मैं जिंदा हूं, तुम मुझसे जुड़े रहोगे. हम सभी का सम्मान करते हैं और हम आप सभी का सम्मान करेंगे. हम भविष्य में भी आप सभी की सेवा और सम्मान करते रहेंगे. नीतीश कुमार पहले भी दो बार बीजेपी से नाता तोड़ चुके हैं, एक बार 2013 में और फिर 2022 में. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी नीतीश की टिप्पणियों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और पत्रकारों से कहा कि मुख्यमंत्री ने जो कहा, उस पर ज्यादा ध्यान न दें. यादव ने कहा, ”हर कोई हर किसी से मिलता है, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से हों.”

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बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सियासत में लीक से अलग हटकर फैसले लेने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं. विशेषकर उनके निर्णय कई बार सबको हैरान कर देते हैं. हाल के दिनों में भी सीएम नीतीश ने फिर से अपने बयानों और फैसलों से अपने उन साथियों को हैरान किया जो नीतीश की पहल पर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. में शामिल हुए हैं. यानी I.N.D.I.A. के साथ रहकर भी नीतीश अपने फैसलों पर अडिग दिखते हैं जो कई बार उनके साथियों को असहज कर देता है.

नीतीश पर शाह की नपी-तुली बात

अहम यह है कि 16 सितंबर को गृह मंत्री अमित शाह के बिहार में दो सभा के बाद भाजपा नेताओं को स्वर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति बदल गए हैं. ज्ञात हो कि पिछले एक साल यानि सितंबर-2022 के बाद छह जनसभाओं में अमित शाह यह बात कहने से चुकते नहीं थे, कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा (एनडीए) के दरवाजे हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गए हैं. हाल ही में जी-20 के अवसर पर दिए गए रात्रिभोज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की PM नरेंद्र मोदी से मुलाकात राजनीतिक गलियारे में संयोग नहीं प्रयोग के तौर पर चर्चा में है.

-भारत एक्सप्रेस

 

 

 

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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