एन आर नारायण मूर्ति-सुधा मूर्ति
Sudha Murthy And N.R. Narayana Murthy: देश की बड़ी आईटी कंपनियों में से एक इंफोसिस (Infosys) को सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) और उनके पति एन आर नारायण मूर्ति (N.R. Narayana Murthy) ने अपने बुलंद हौसलों से खड़ा किया था. यही वजह रही कि आर्थिक तंगी के बीच सुधा मूर्ति ने पति की मदद की और फिर देखते ही देखते इन्फोसिस को साल 1999 में US Stock Market नास्डैक (Nasdaq) की लिस्ट में शामिल होने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई. आज इस कंपनी में 3 लाख से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं. तो वहीं सुधा मूर्ति की प्रतिभा और उनके सोशल वर्क से प्रभावित होकर विश्व महिला दिवस यानी 8 मार्च को देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने उनको राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है. इसमें खास बात तो ये है कि इस बात की जानकारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर (एक्स) हैंडल के जरिए दी थी.
सुधा मूर्ति के पति एन आर नारायण मूर्ति ने वर्ष 1981 में अपने छह साथियों के साथ मिलकर इंफोसिस (Infosys) कंपनी की स्थापना की थी, जो कि आज भारत की टॉप-10 वैल्यूएवल कंपनियों में शामिल है और टाटा ग्रुप की टीसीएस (TCS) के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी टेक कंपनी है. बता दें कि, नारायण मूर्ति ने खुद कई मौकों पर इंफोसिस की शुरुआत के लिए अपनी पत्नी सुधा मूर्ति के योगदान का जिक्र किया है. बता दें कि इंफोसिस का मार्केट कैप (MCap) 6,69,920.64 करोड़ रुपये है और अमेरिका, इंग्लैंड सहित दुनिया के कई देशों में कारोबार है.
I am delighted that the President of India has nominated @SmtSudhaMurty Ji to the Rajya Sabha. Sudha Ji's contributions to diverse fields including social work, philanthropy and education have been immense and inspiring. Her presence in the Rajya Sabha is a powerful testament to… pic.twitter.com/lL2b0nVZ8F
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2024
10 हजार में शुरू की थी कम्पनी
फिलहाल आज सुधा मूर्ति देश-दुनिया में किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. बता दें कि इंफोसिस के को-फाउंडर एन आर नायारण मूर्ति ने इस कंपनी की शुरुआत के लिए अपनी पत्नी सुधा मूर्ति से 10,000 रुपये उधार लिए थे, तब ये कंपनी अस्तित्व में आई थी और आज दुनिया भर में भारत का डंका बज रहा है. इसको लेकर एक बार एक टीवी इंटरव्यू में सुधा मूर्ति ने खुद महिलाओं को एक सीख देते हुए कहा था कि, कुछ पैसे पति की नजरों से छुपाकर बचाओ. उनका कहने का मतलब था कि पत्नी को कुछ पैसे इस तरह बचाकर रखने चाहिए, जिसके बारे में जानकारी पति को न हो. क्योंकि उन्होंने भी ये 10 हजार इसी तरह बचाए थे और जब जरुरत पड़ी थी तब कम्पनी के लिए इस्तेमाल किए थे. फिलहाल अब सुधा मूर्ति बिजनेस सेक्टर से राजनीति जगत में एंट्री ले चुकी हैं. वह अपने सोशल वर्क को लेकर भी काफी जानी जाती हैं. उन्होंने आठ उपन्यास लिखे हैं.
एक कमरे में करते थे गुजारा
सुधा मूर्ति ने एक साक्षात्कार में खुद ही बताया था कि, जब नारायण मूर्ति ने कंपनी शुरू करने का प्लान बनाया था. उस समय नारायण मूर्ति अपनी पत्नी सुधा मूर्ति के साथ एक कमरे के मकान में रहते थे. कंपनी का नाम इंफोसिस (Infosys) तय हो चुका था, लेकिन इसे शुरू करने के लिए रुपयों की कमी थी. इस पर नारायण मूर्ति ने अपना हिस्सा देने के लिए पत्नी से 10,000 रुपये उधार लिए थे और इसी के बाद पुणे के एक अपार्टमेंट से कंपनी की शुरुआत हुई. बाद में साल 1983 में कंपनी का मुख्यालय पुणे से बेंगलुरु ट्रांसफर कर दिया गया था. इसके बाद इस कंपनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार आगे बढ़ती चली गई. कारोबार देश-दुनिया में फैल गया और फिर वो दिन भी आया जब साल 1999 में इंफोसिस US Stock Market नास्डैक (Nasdaq) में लिस्ट होने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई. आज इस कंपनी में 3 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं. बता दें कि 24 साल पहले इंफोसिस ने ये उपलब्धि उस समय हासिल की थी जो उस समय किसी अन्य भारतीय कंपनी ने नहीं की थी. इन्फोसिस ने 34 डॉलर प्रत्येक पर 1,800,000 एडीआर की अमेरिकी सार्वजनिक पेशकश के साथ अमेरिकी जमाकर्ता रसीद (एडीआर) मार्ग अपनाया था. एडीआर ने 9,00,000 इक्विटी शेयरों का प्रतिनिधित्व किया और 11 मार्च को सार्वजनिक हो गया था.
नारायण मूर्ति ने कही थी ये बात
इंफोसिस की ऐतिहासिक उपलब्धि को लेकर नारायण मूर्ति ने कहा था, “यह नैस्डैक के लिए एक छोटा कदम था, लेकिन भारतीय आईटी (उद्योग) के लिए एक बड़ी छलांग थी”, उन्होंने आगे कहा था कि, उनका सबसे यादगार पल तब आया जब इंफोसिस अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई थी. फिर इंफोसिस 20 फरवरी, 2013 से एनवाईएसई यूरोनेक्स्ट (एनवाईएक्स) लंदन और पेरिस बाजारों पर व्यापार शुरू करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई. यह कदम इंफोसिस के अमेरिकी डिपॉजिटरी शेयरों को एनवाईएसई यूरोनेक्स्ट में स्थानांतरित करने के लिए किया गया था. इसका उद्देश्य यूरोपीय निवेशकों के लिए स्टॉक तक पहुंच बढ़ाना है.
सुधा थीं पहली महिला इंजीनियर
बता दें कि सुधा मूर्ति का जन्म उत्तरी कर्नाटक में शिगांव में 19 अगस्त 1950 को हुआ था. उनके पिता आर.एच कुलकर्णी और माता विमला कुलकर्णी थीं. सुधा मूर्ति की पढ़ाई और करियर को लेकर भी दिलचस्प वाक्या जुड़ा हुआ है. उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है. दरअसल, सुधा मूर्ति इंजीनियरिंग कॉलेज में 150 स्टूडेंट्स के बीच एडमीशन लेने वाली पहली महिला थीं. यही नहीं पढ़ाई के बाद टाटा मोटर्स (Tata Motors) की पहली महिला इंजीनियर भी थीं.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से है ये रिश्ता
बता दें कि सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति के दो बच्चे हैं. बेटी अक्षता मूर्ति और बेटा रोहन मूर्ति. उनकी बेटी अक्षता की ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) की पत्नी हैं. एक तरह से कह सकते हैं कि सुधा मूर्ति यूके पीएम की सास हैं और नारायण मूर्ति ससुर हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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