
फाइल फोटो.
Mumbai to UP Bihar Train Tickets: गर्मी की छुट्टियों का मौसम आते ही हर साल लाखों लोग अपने घरों की ओर लौटने के लिए मुंबई से यूपी और बिहार की यात्रा करने लगते हैं. इस समय मुंबई में उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वाले यात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि देखी जाती है, जिससे ट्रेनों और टिकटों को लेकर मारामारी शुरू हो जाती है. इस साल भी यह स्थिति कुछ अलग नहीं है, और लोग लंबे समय तक टिकट कंफर्म करने के लिए परेशान हैं.
स्पेशल ट्रेनें भी नहीं दे पा रही हैं राहत
मध्य रेलवे ने गर्मी की छुट्टियों में यात्रियों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए यूपी-बिहार जाने वाली कई स्पेशल ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है, लेकिन इन ट्रेनों के बावजूद यात्रियों को टिकट कंफर्म करने में भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. खासकर, लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए टिकट बुक करना एक बड़ा सिरदर्द बन चुका है. यात्रियों का कहना है कि कई बार टिकट बुक करने के बाद भी उन्हें कंफर्मेशन नहीं मिल पाता, और वे जनरल डिब्बों में यात्रा करने को मजबूर होते हैं.
जनरल डिब्बे में यात्रा का दबाव
मुंबई जैसे बड़े शहर में जहाँ लोग रोज़ी-रोटी के लिए आते हैं और गर्मी की छुट्टियों में अपने घर वापस जाते हैं, वहां हवाई यात्रा की कीमतें इतनी ज्यादा होती हैं कि अधिकांश लोग एयरलाइन का टिकट खरीदने का जोखिम नहीं उठा सकते. दूसरी ओर, रेलवे द्वारा घोषित स्पेशल ट्रेनों के बावजूद भी टिकट कंफर्म नहीं हो पाते, और ऐसे में लोगों को जनरल डिब्बे में यात्रा करनी पड़ती है. जनरल डिब्बे में यात्रा करने से न केवल शारीरिक थकान होती है, बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से भी यह जोखिमपूर्ण हो सकता है.
रेलवे से अधिक ट्रेनें और सुविधाओं की मांग
कई यात्रियों का कहना है कि रेलवे को यूपी और बिहार के लिए और अधिक स्पेशल ट्रेनें चलानी चाहिए ताकि यात्रियों को टिकट कंफर्म कराने में आसानी हो. उनका यह भी मानना है कि जब रेलवे स्पेशल ट्रेनें चलाती है तो इसका कोई खास फायदा नहीं होता क्योंकि टिकट कंफर्म करवाने के लिए घंटों काउंटर पर खड़ा रहना पड़ता है, और फिर भी उनका वेटिंग लिस्ट में नंबर आ जाता है.
यहां तक कि कुछ यात्री जो पहले से ही टिकट ले चुके होते हैं, उनका भी कंफर्मेशन नहीं हो पाता. इस स्थिति में जब लोग सुबह-सुबह स्टेशन पहुंचकर काउंटर पर टिकट कंफर्म करवाने के लिए खड़े रहते हैं तो उन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ता है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब यात्री इतना इंतजार कर रहे हैं, तो रेलवे द्वारा कितनी ट्रेनें चलाने से समस्या का समाधान होगा?
क्या होगी अगली रणनीति?
अब जब कि मार्च का महीना जारी है और अप्रैल-मई के महीनों में यात्रा करने वालों की संख्या और बढ़ने की संभावना है, यह देखना अहम होगा कि रेलवे इस मुद्दे पर किस प्रकार का कदम उठाती है. क्या रेलवे अपनी ट्रेन सेवाओं में और अधिक सुधार लाएगी या फिर यात्रियों को इसी तरह की असुविधा का सामना करना पड़ेगा?
यह स्पष्ट है कि यात्रियों को सफर के दौरान बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, और रेलवे को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. यदि रेलवे को यात्रियों की समस्याओं का समाधान नहीं मिल पाता है, तो आने वाले समय में इन समस्याओं का और अधिक बढ़ना तय है.
-भारत एक्सप्रेस
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