देश

स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिभव कुमार को दी जमानत

आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद और दिल्ली के पूर्व महिला आयोग के अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के आरोप में गिरफ्तार बिभव कुमार को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. कोर्ट ने कुमार को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दिया है. कोर्ट ने कहा कि जमानत पर रहने के दौरान बिभव कुमार मुख्यमंत्री दफ्तर नहीं जाएंगे.

कोर्ट ने कहा कि बिभव कुमार को दिल्ली सरकार के किसी ऑफिशल पोस्ट पर नियुक्त नहीं किया जाएगा. बिभव कुमार मुख्यमंत्री के घर नहीं जायेगा. बिभव और उनकी पार्टी इस केस के मेरिट पर कोई टिप्पणी नहीं करेगें.

बिभव कुमार की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है. चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. मामूली चोट का यह मामला है. जिसका विरोध करते हुए कहा एएसजी एसवी राजू ने कहा कि विभव कुमार को जमानत नहीं मिलनी चाहिए, क्योंकि इस मामले में कुछ प्राइवेट गवाह हैं, जिनको प्रभावित किया जा सकता है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जब चोटें साधारण हों तो आप किसी व्यक्ति को 100 दिनों से अधिक समय तक जेल में नहीं रख सकते. औसत दर्जे की रिपोर्ट देखें. आपको यहां दोनों में संतुलन बनाना होगा न कि जमानत का विरोध करना होगा.

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में 51 से अधिक गवाह हैं. यह प्रस्तुत किया गया है कि याचिकाकर्ता पहले से ही 100 दिनों से अधिक समय से हिरासत में है और सुनवाई में समय लगने की संभावना है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि ऐसे बर्ताव पर शर्म आती है कि महिला के साथ जबरदस्ती की गई. कोर्ट ने बिभव कुमार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि क्या मुख्यमंत्री आवास गुंडे रखने के लिए है. बिभव कुमार गुंडे की तरह काम किया और मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास में घुसा. उसने तब भी महिला पर हमला किया, जबकि उसने अपनी शारीरिक स्थिति बता दी थी.

कोर्ट ने पूछा था कि एक महिला पर हमला करते हुए क्या उसे शर्म नहीं आई? कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि हम अमूमन जमानत पर रिहाई का आदेश दे देते हैं. यहां तक कि हत्यारों तक को जमानत दे देते हैं. लेकिन यहां मामला नैतिकता का है, जिसमें एक महिला सांसद पर हाथ उठाया गया है. कोर्ट ने यह भी कहा था कि सवाल यह है कि यह कैसे हुआ, मालीवाल ने उसे रुकने के लिए कहा, लेकिन वह आदमी नहीं रुका, वह क्या सोचता है? क्या उसके सिर पर शक्ति सवार है? आप पूर्व सचिव थे, अगर पीड़िता को वहां रहने का अधिकार नहीं था, तो आपको भी वहां रहने का अधिकार नहीं था.

बिभव कुमार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि मामले में एफआईआर तीन दिन बाद दर्ज हुई है. पहले एफआईआर दर्ज कराए बिना ही लौट गई थी. कोर्ट ने चार्जशीट को लेकर जब सिंघवी से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि चार्जशीट दाखिल होने से पहले ही याचिका दाखिल की गई है.

ये भी पढ़ें- बुल्डोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, यूपी, एमपी और राजस्थान सरकार को जारी किया नोटिस, केंद्र को भी लगाई कड़ी फटकार

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

Recent Posts

दिल्ली कोर्ट ने अमानतुल्ला खान की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर ED को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

आप विधायक अमानतुल्ला खान को ओखला स्थित उनके आवास पर ईडी की छापेमारी के बाद…

3 hours ago

पूजा खेडकर की मुश्किलें बढ़ीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने झूठे हलफनामे के मामले में जारी किया नोटिस

यूपीएससी ने अपने आवेदन में आरोप लगाया है कि खेडकर ने अग्रिम जमानत याचिका में…

3 hours ago

बिहार में शराबबंदी हटाना चाहिए या नहीं? PK ने कराया सर्वे, रिजल्ट ने किया हैरान

पार्टी के बनने से पहले प्रशांत किशोर लगातार घोषणाएं भी कर रहे हैं. ऐसा ही…

3 hours ago

झारखंड के सभी पूर्व CM मिलकर मुझे पद से हटाने में जुटे हैं: हेमंत सोरेन

हेमंत सोरेन ने कहा कि अगले 5 वर्ष में हर घर को मजबूत करने का…

4 hours ago

IND vs BAN, 1st Test: अश्विन के शतक और जडेजा के साहस से भारत मजबूत

IND vs BAN, 1st Test: भारत और बांग्लादेश के बीच टेस्ट सीरीज का आगाज हो…

6 hours ago

Ernst & Young: 26 वर्षीय CA की मौत की जांच कराएगी केंद्र सरकार, मां का पत्र- कंपनी के ‘वर्कलोड’ से गई मेरी बेटी की जान

अर्नस्ट एंड यंग (EY) में काम करने वाली CA अन्ना सेबास्टियन की हाल ही में…

6 hours ago