हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से सभी मुख्य संसदीय सचिवों (CPS) की नियुक्तियां रद्द किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जनवरी में कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. इस संबंध में राज्य सरकार और पूर्व सीपीएस की ओर से तीन याचिकाएं दायर की गई है. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि अभी जिन विधायकों को संसदीय सचिव के पद से हटाया गया है, उनकी इस पद पर बहाली नहीं होगी, लेकिन अभी उन्हें विधायक के तौर पर अयोग्यता की कार्रवाई का सामना नहीं करना होगा.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद छह विधायकों अर्की से संजय अवस्थी, दून से राम कुमार चौधरी, पालमपुर से आशीष बुटेल, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, बैजनाथ से किशोरी लाल और कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर को मुख्य संसदीय सचिव के पद से हटना पड़ा है.
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बता दें कि हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह सरकार के समय ये एक्ट अस्तित्व में आया था. इस एक्ट के नाम हिमाचल प्रदेश संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) अधिनियम 2006 रखा गया था. इस एक्ट के अनुसार मुख्यमंत्री अपने विशेषाधिकार से मुख्य सचिव व संसदीय सचिवों की नियक्ति कर सकते है. इन्हें शपथ दिलाना भी मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र में रखा गया था.
एक्ट में संसदीय सचिवों की शक्तियों, वेतन- भत्ते आदि सहित कार्य का ब्यौरा दर्ज किया गया था. इस एक्ट को 23 जनवरी 2007 में राज्यपाल की मंजूरी मिली थी. एक्ट को 27 दिसंबर 2006 को पास किया गया था.
-भारत एक्सप्रेस
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