सुप्रीम कोर्ट.
West Bengal Teacher Recruitment Scam: पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 19 दिसंबर को सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सीबीआई जांच पर फिलहाल रोक नही है. कोर्ट ने यह भी कहा था कि जिन शिक्षकों की नियुक्तियां गैरकानूनी पाई जाएंगी.
उनका वेतन लौटाना सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा. कोर्ट ने कहा था यह सिस्टमैटिक फ्राॅड का मामला है. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अधिकारी 25,753 शिक्षको और गैर शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति से संबंधित डिजिटल रेकॉर्ड बनाये रखने के लिए बाध्य है.
यह व्यवस्थागत धोखाधड़ी है: कोर्ट
कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वकील से पूछा था कि सार्वजनिक नौकरी बहुत कम है. अगर जनता का विश्वास चला गया तो कुछ नही बचेगा. यह व्यवस्थागत धोखाधड़ी है. सरकार नौकरियां बेहद कम है और उन्हें समाजिक गतिशीलता के रूप में देखा जाता है. अगर उनकी नियुक्तियों को भी बदनाम कर दिया जाए तो सिस्टम में क्या रह जाएगा. लोग विश्वास खो देंगे. आप इसे कैसे स्वीकार करेंगे.
कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार के पास यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है कि डेटा उसके अधिकारियों द्वारा बनाए रखा गया था और इसकी उपलब्धता के बारे में पूछा गया था. कोर्ट ने राज्य सरकार के वकीलों से कहा था को या तो आपके पास देता है या आपके पास नहीं है. आप दस्तावेजों को डिजिटल रूप में बनाये रखने के लिए बाध्य थे.
हाइकोर्ट के पास नौकरियां रद्द करने का अधिकार नहीं
अब, यह स्पष्ट है कि कोई डेटा नही है. आप इस तथ्य से अनजान है कि आपका सेवा प्रदाता एक अन्य एजेंसी को नियुक्त किया है. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वकील ने कोलकाता हाइकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए पूछा था कि क्या इस तरह के आदेश को कायम रखा जा सकता है. उन्होंने तर्क दिया था कि यह सीबीआई का भी मामला नहीं है कि सभी 25000 नियुक्तियां अवैध है. वही स्कूल सेवा आयोग का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया था कि हाइकोर्ट की पीठ के पास नौकरियां रद्द करने का अधिकार क्षेत्र नही था, और उसके इस मामले में शीर्ष अदालत के फैसलों के विपरीत थे.
-भारत एक्सप्रेस
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