प्रेग्नेंसी किट से पहले कैसे चलता था गर्भवती होने का पता? जानकर उड़ जाएंगे होश
By निहारिका गुप्ता
प्रशांत राय
Buxar: शहनाई के जादूगर भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां अपने ही घर में उपेक्षित हैं. सरकार, प्रशासनिक अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण निधन के 17 साल बाद भी उनके यादों को संजोने के लिए कोई खास पहल नहीं हुई, ऐसे में आने वाली पीढ़ियां अब उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को किताबों के पन्नों में ही पढ़ा करेगी. आधुनिकता के चकाचौंध में अब जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी वे याद नहीं रहे. यही कारण है कि उनके जयंती के नाम पर केवल कोरम पूरा किया जा रहा है.
वर्तमान भाकपा विधायक अजित कुमार सिंह ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खा के नाम पर संगीत अकादमी या कला महाविद्यालय बनाने की मांग उठाई, लेकिन सरकार में होने के बावजूद भी अब तक 5 एकड़ भूमि की तलाश नहीं करा पाये है. जिला प्रशासन ने राज हाई स्कूल के बन्द पड़े एक भवन में अस्थायी व्यवस्था करने का सुझाव इस साल विभाग को जरूर भेजा है. बताया जाता है कि उनकी पुस्तैनी जमीन भी अतिक्रमित हो चुकी है.
21 मार्च 1916 को डुमराँव शहर में जन्मे थे उस्ताद
उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का जन्म आज ही के दिन 21 मार्च 1916 को जिला के डुमराँव नगर पालिका के ठठेरी बाजार में बचई मियां के घर में हुआ था. जिन्होंने शहनाई वादन के बदौलत पूरे विश्व के पटल पर डुमराव का नाम रोशन किया. लेकिन वक्त के साथ भारत रत्न से सम्मनित यह अनमोल रत्न अब अपने ही घर में गुम हो गया है.
पूरे जिले में नहीं है कोई प्रतीक चिन्ह
डुमराव की गलियों से लेकर देश के चारों दिशाओं में अपने शहनाई की धुन से लोगों को भाव-विभोर कर देने वाले भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां अपने ही जन्म भूमि पर उपेक्षित हैं. 21 अगस्त 2006 में निधन होने के 17 साल बाद भी उनके यादों को संजोकर रखने के लिए अब तक ना तो जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा और ना ही जनप्रतिनिधियों के द्वारा कोई कदम उठाया गया. आज पूरे जिले में ना तो उनके नाम पर कहीं कोई भवन है और ना ही संग्रहालय, स्कूल, कॉलेज या संगीत अकादमी तो दूर की बात है.
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विधानसभा में भी हुई है चर्चा
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद, स्थानीय भाकपा माले विधायक अजित कुमार सिंह, ने कई बार सदन से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से व्यक्तिगत मुलाकात कर शहनाई के जादूगर उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के नाम पर कला महाविद्यालय, या संगीत अकादमी बनाने की मांग सरकार से की, लेकिन अभी तक उसके लिए 5 एकड़ भूमि की तलाश नहीं हो पाई है. हालांकि जिलाधिकारी अमन समीर ने अस्थाई रूप से कला महाविद्यालय के लिए राज हाई स्कूल के बन्द पड़े एक भवन में खोलने का सुझाव विभाग को इस साल भेजा है.
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