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Ustad Bismillah Khan

बिस्मिल्लाह खां ने गंगा-जमुनी तहजीब को भी बढ़ावा दिया. वह बाबा विश्वनाथ मंदिर में जाकर तो शहनाई बजाते ही थे.

राजधानी दिल्ली स्थित संस्कार भारती में ‘याद-ए-बिस्मिल्लाह’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. भारत एक्सप्रेस समाचार चैनल ने इस आयोजन में सहयोग दिया.

बिस्मिल्लाह खान की उम्र जब 6 साल ही थी तब वह शहनाई की शिक्षा के लिए वाराणसी अपने मामा अली बख्श के पास आ गए थे. उनके उस्ताद मामा काशी विश्वनाथ मंदिर में शहनाई बजाते थे. यहीं से उन्होंने शहनाई को अपना पहला प्यार बनाया.

Buxar: आज ही के दिन 21 मार्च 1916 को जन्में उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की यादों को संजोकर रखने के लिए अब तक ना तो जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा और ना ही  जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई कदम उठाया गया.