शिमला में तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं ने गुरु पद्मसंभव का जन्मदिन धूमधाम से मनाया. बौद्ध भिक्षुओं ने जन्मदिन के मौके पर पारंपरिक चाम (लामा नृत्य) किया. कार्यक्रम का आयोजन पंथाघाटी में दोर्जीदक तिब्बती बौद्ध मठ में हुआ. जिसमें सैकड़ों की संख्या में बौद्ध भिक्षु शामिल हुए. भिक्षुओं ने विश्व में शांति के लिए प्रसाद चढ़ाया और लामाओं की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की.
पारंपरिक तिब्बती वाद्य यंत्रों के साथ किया जाता है लामा नृत्य
लामा नृत्य पारंपरिक तिब्बती वाद्य यंत्रों के साथ किया जाता है. जिसमें बौद्ध भिक्षु मास्क और टोपी पहनकर नृत्य करते हैं. बौद्ध भिक्षुओं का मानना है कि ऐसा गुरु पद्मसंभव को सम्मान देने के लिए किया जाता है. बौद्ध भिक्षु दलाई लामा और अन्य उच्च लामाओं की लंबी उम्र और विश्व में शांति बनी रहे, इसके लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं. बौद्ध भिक्षु अपनी सदियों पुरानी परंपरा को बनाए रखने के लिए लामा नृत्य करते हैं.
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तिब्बती कलेंडर के हिसाब से मनाया जाता है गुरु पद्मसंभव का जन्मदिन
तिब्बत के चंद्र कैलेंडर के अनुसार, गुरु रिनपोचे (गुरु पद्मसंभव) का जन्मदिन तिब्बती कैलेंडर के चौथे महीने के 10वें दिन मनाया जाता है. तिब्बती बौद्ध भिक्षु और दोर्जीदक बौद्ध मठ के सचिव शेडुप मिफाम ने बताया कि हम गुरु पद्मसंभव के उपदेश का अभ्यास कर रहे हैं. उनकी दी हुई शिक्षा को याद कर लामा नृत्य करते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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