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जांच को दूसरी एजेंसी को हस्तांतरित करना असाधारण मामलों में ही संभव: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि किसी मामले की जांच को दूसरी एजेंसी को हस्तांतरित करना केवल असाधारण परिस्थितियों में संभव है, जब यह साबित हो कि जांच अधिकारी आरोपी के साथ मिला हुआ है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की जांच को हस्तांतरित करने की याचिकाओं को खारिज कर दिया.

Delhi High Court

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी मामले की जांच को किसी दूसरे जांच एजेंसी को हस्तांतरित करना दुर्लभ व असाधारण मामलों में किया जाता है. वह भी तब जब मामले में राज्य प्राधिकरण के उच्च अधिकारी शामिल होते हैं. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि जांच अधिकारी के खिलाफ आरोप लगने के आधार पर जांच को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है.

यह तभी संभव है जब इस बात का सबूत हो कि जांच अधिकारी आरोपी के साथ मिला हुआ है. जांच को हस्तांतरित करने के लिए निराधार आरोप पर्याप्त नहीं है. सामान्य स्थितियों में जांच को हस्तांतरित किए जाने से जांच एजेंसी का मनोबल प्रभावित होता है. उसे हर कीमत पर टाला जाना चाहिए. न्यायमूर्ति ने उक्त टिप्पणी करते हुए दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की ओर से दर्ज मामले को सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली विशेष जांच टीम (एसआईटी) या सीबीआई या विशेष सेल जैसी उच्च जांच एजेंसी को हस्तांतरित करने की मांग करने वाली कई लोगों की याचिकाओं को खारिज कर दिया.

खरीदने वालों एवं निवेशकों से आरोपियों ने ठगे पैसे

इस मामले में आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने घर खरीदने वालों एवं निवेशकों से पैसे ठगे हैं. कोर्ट ने कहा कि जांच सहायक पुलिस आयुक्त की देखरेख में की जा रही है. साथ ही इसकी निगरानी अदालत कर रही है. यह अदालत जांच से संतुष्ट है. यह नहीं कहा जा सकता कि जांच एजेंसी जांच के मामले में ढिलाई बरत रही है. उसने यह भी कहा कि उसके समक्ष ऐसी कोई भी सामग्री पेश नहीं किया गया है जिससे मालूम हो कि जांच में ढिलाई बरती जा रही है. केवल जांच एजेंसी का शिकायतकर्ताओं के निर्देशों के तहत काम नहीं करने या उनके संतुष्टि के अनुसार जांच नहीं करने के आधार पर जांच को स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है.

-भारत एक्सप्रेस


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