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भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय के दो नए न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई, जिससे शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या 34 की पूर्ण स्वीकृत क्षमता के बराबर हो गई. उच्चतम न्यायालय परिसर में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह के दौरान न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार को शपथ दिलाई गई.
इन दोनों न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ ही शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की कुल संख्या बढ़कर 34 हो गई है. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले न्यायमूर्ति बिंदल इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे जबकि न्यायमूर्ति कुमार गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे.
उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम द्वारा 31 जनवरी को शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए उनके नामों की सिफारिश की गई थी. सीजेआई ने इससे पहले गत 6 फरवरी को न्यायमूर्ति पंकज मित्तल, न्यायमूर्ति संजय करोल, न्यायमूर्ति पी वी संजय कुमार, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ दिलाई थी.
न्यायमूर्ति बिंदल 11 अक्टूबर, 2021 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे. 16 अप्रैल 1961 को जन्मे न्यायमूर्ति बिंदल ने 1985 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलबी किया था और सितंबर 1985 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में वकालत के पेशे में शामिल हो गए थे. उन्हें 22 मार्च, 2006 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत दी गई.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, न्यायमूर्ति बिंदल ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में अपने कार्यकाल के दौरान लगभग 80,000 मामलों का निपटारा किया. वहीं शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में अपनी पदोन्नति से पहले, न्यायमूर्ति कुमार 13 अक्टूबर, 2021 से गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे. 14 जुलाई 1962 को जन्मे न्यायमूर्ति कुमार ने 1987 में एक वकील के तौर पर पंजीयन कराया था.
1999 में, उन्हें कर्नाटक उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के एक अतिरिक्त स्थायी वकील नियुक्त किया गया था. न्यायमूर्ति कुमार को 26 जून, 2009 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. उन्हें 7 दिसंबर, 2012 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया.
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