आंदोलन करते बिजलीकर्मी और ऊर्जा मंत्री एके शर्मा
Electricity Workers Strike: उत्तर प्रदेश में बिजली कर्माचारियों की 72 घंटे की हड़ताल गुरुवार रात 10 बजे से शुरू हो गई है. निजीकरण और सेवा शर्तों में कटौती के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने ये हड़ताल किया है. बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता, एसडीओ और अवर अभियंता सहित तमाम कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हैं.
वहीं, बिजली कर्मचारियों के इस हड़ताल का प्रदेश भर में असर भी दिखना शुरू हो गया है. कई जिलों में उपकेंद्रों से बिजली आपूर्ति घंटों ठप रही. जिससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उधर, खबर है कि महोबा में हड़ताली10 बिजली कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है. जिसमें संविदा और आउटसोर्स के कर्मचारी शामिल हैं. कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि “शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान किसी भी बिजलीकर्मी को गिरफ्तार किया गया तो अनिश्चितकालीन हड़ताल के साथ जेल भरो आंदोलन करेंगे.”
“गड़बड़ी की तो रासुका और एस्मा लगाएंगे”- एके शर्मा
प्रदेश सरकार ने हड़ताली बिजली कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि अगर गड़बड़ी की तो रासुका और एस्मा लगाया जाएगा. उर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि “कार्यों में व्यवधान डालने, कार्मिक के साथ दुर्व्यवहार करने, सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में एनएसए और रासुका के प्रावधानों के तहत भी एक्शन लिया जाएगा.”
आंदोलन में शामिल हैं एक लाख से अधिक कर्मचारी
आंदोलन करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि “जो समझौता हुआ था, उसका इम्प्लीमेंट होना चाहिए. अगर समझौते का पालन नहीं होगा तो प्रश्नचिन्ह खड़ा होगा.” उन्होंने आगे कहा कि “नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स(एनसीसीओईईई) के आह्वान पर 72 घंटे की सांकेतिक हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.” बता दें कि इस आंदोनल में एक लाख से अधिक बिजलीकर्मी शामिल हैं. इसके अलावा देश के 27 लाख कर्मियों के संगठन भी इनके समर्थन में हैं.
गौरतलब है कि राज्य सरकार को आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा एक्ट) लागू करने का अधिकार है. इस एक्ट के लागू होने के बाद आवश्यक सेवाओं में लगे सरकारी कर्मचारी किसी तरह की हड़ताल पर नहीं जा सकते हैं. अगर कोई भी कर्मचारी हड़ताल करता है तो उस पर सख्त एक्शन लिया जा सकता है.
-भारत एक्सप्रेस