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UP News: शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने पिछली सरकारों पर मढ़ा उपेक्षा का आरोप, BJP को बताया हमदर्द, राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ाने की मांग

Lucknow: शिया धर्मगुरु ने भाजपा सरकार से मांग की है कि शिया मुसलमानों को भी हर योजना में शामिल करें. कहा मुसलमान बहुत पिछड़े हैं, उनमें शिया बहुत ही पिछड़े हैं.

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शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद (फोटो सोशल मीडिया)

Lucknow: शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने पिछली सरकारों पर शिया मुसलमानों की उपेक्षा करने का आरोप मढ़ा है और भाजपा सरकार को अपना हमदर्द बताया है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार आज हर योजना में पसमांदा (पिछड़े मुसलमानों) को शामिल कर रही है, इसलिए उन्हें शिया मुसलमानों को भी शामिल करना चाहिए, जो पिछली सरकारों की उपेक्षा के कारण पीड़ित हैं. इसके साथ कहा कि प्रदेश में मुसलमानों की स्थिति बहुत खराब है, लेकिन उनमें शिया मुसलमानों की स्थिति और भी ज्यादा खराब है. इसी के साथ उन्होंने राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ाने की भी मांग की है.

शिया धर्मगुरु के इस बयान के सामने आने के बाद सपा, कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों में खलबली मच गई है. क्योंकि सपा सहित कांग्रेस व अन्य दल हमेशा से खुद को मुस्लिमों के हमदर्द बताते रहे हैं और उनके ही वोट के दम पर सत्ता हासिल करते रहे हैं, लेकिन मौलाना कल्बे जवाद ने खुलकर भाजपा का समर्थन कर उन राजनीतिक पार्टियों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है, जो खुद को मुसलमानों के लिए काम करने वाला बताते रहे हैं.

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देखें क्या कहा शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने

शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि, चूंकि सरकार हर योजना में पसमांदा (पिछड़े मुसलमानों) को शामिल कर रही है, इसलिए उन्हें शिया मुसलमानों को भी शामिल करना चाहिए. जो पिछली सरकारों की उपेक्षा के कारण पीड़ित हैं. सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार मुसलमान बहुत पिछड़े हैं लेकिन मुसलमानों में शिया अधिक पिछड़े हैं. किसी भी पिछली सरकार ने शिया समुदाय के कल्याण के लिए काम नहीं किया है, लेकिन आज शिया समुदाय मोदी सरकार से बेहतर राजनीतिक और सामाजिक प्रतिनिधित्व की मांग करता है.

उन्होंने कहा, जब मैं पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला, तो मैंने उनसे हमारे समुदाय की स्थिति पर ध्यान देने को कहा था, इस पर प्रधानमंत्री ने सकरात्मक आश्वासन दिया था. इसके साथ एक बार फिर से उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार से राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ाने की मांग की. सबसे बड़ी बात ये है कि ये मांग उस वक्त सामने आई है जब यूपी में सभी राजनीतिक पार्टियां 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियों में जुट गई हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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