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By Vijay Ram
UNSC permanent membership India: दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद (UNSC) का स्थाई सदस्य नहीं बन पाया है. स्थायी सदस्यता के लिए बरसों से दावेदारी जताई जा रही है, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका. इस बारे में पूछे गए एक सवाल पर भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि अमेरिका भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार की मांग का पुरजोर समर्थन करता है.
अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी से पूछा गया था- भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता में क्या बाधाएं हैं और भारत कब तक इसका सदस्य बन सकता है? इस पर अमेरिकी राजदूत ने कहा, “अमेरिका इसमें शामिल होने की भारत की इच्छा के समर्थन में है. अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार का पुरजोर समर्थन करता है. हमें समय की मांगों को पूरा करने के लिए संस्थानों की आवश्यकता है. क्षेत्रों और देशों की ताकत और महत्व संयुक्त राष्ट्र में समान रूप से प्रतिबिंबित होना चाहिए.”
एरिक गार्सेटी ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र में नियम हैं, और हम अधिक से अधिक वोट पाने की कोशिश में भारत के बहुत समर्थक हैं, लेकिन मूल रूप से, दुर्भाग्य से, अमेरिका से नहीं, बल्कि एक और देश से ही आपत्ति होती रही है, और हमें इस मुद्दे पर एकजुट होना होगा.” उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि जी-20 के बाद अधिक देश देखेंगे कि भारत का नेतृत्व कितना महत्वपूर्ण है, और मुझे आशा है कि इससे भारत को अधिक समर्थकों को जुटाने के अभियान में मदद मिलेगी और जल्द ही एक दिन अंततः हम इसे साकार होते देखेंगे.”
यह पूछे जाने पर कि वह भारत की जी-20 अध्यक्षता को किस प्रकार देखते हैं? अमेरिका के राजदूत ने कहा, “यह आश्चर्यजनक रहा है. मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं. मुझे विभिन्न शहरों में प्रेरणा मिली है. मैं भौगोलिक विस्तार से प्रभावित हूं, लेकिन मैं भारत की वास्तविक गहराई से भी बहुत प्रभावित हूं, चाहे वह प्रौद्योगिकी, संस्कृति, वाणिज्य, पर्यटन, कला, मातृभूमि सुरक्षा हो. भारत ने दुनिया भर से लोगों को इसमें एकत्र किया है, मैं यह भी सोचता हूं कि भारत अतीत और भविष्य के बीच, पूर्व और पश्चिम के बीच, उत्तर और दक्षिण के बीच एक महान सेतु रहा है. हम न केवल दुनिया के लिए एक सफल जी-20 देखना चाहते हैं, बल्कि हम डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी संरचना, पर्यावरण और वैकल्पिक चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में भी भारत के नेतृत्व को बढ़ाना चाहते हैं. हम यह दिखाना चाहते हैं कि भारतीय मूल्य दुनिया की भलाई में कैसे योगदान दे सकते हैं.”
क्या भारत और अमेरिका अब करीबी सहयोगी और रणनीतिक साझेदार हैं? इस पर अमेरिकी राजदूत ने कहा, “मुझे लगता है कि हमने शुरुआत की, अमेरिका ने भारत की आजादी की वकालत की. राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने विंस्टन चर्चिल के साथ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मुझे लगता है कि हम लंबे समय से स्वाभाविक मित्र रहे हैं. समय के साथ लोगों के बीच दोस्ती गहरी हुई है. अमेरिका में प्रवास करने वाले भारतीय, अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय और अमेरिकी कंपनियां और लोग जो दशकों से यहां हैं, अमेरिकी संस्कृति यहां हर जगह है. अमेरिका में भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है.”
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अमेरिकी राजदूत ने कहा, “हर चार अमेरिकी नागरिकों में से एक का इलाज एक भारतीय डॉक्टर करता है. इसलिए यह अब व्यक्तिगत संबंध हैं, और यह हमारे नेताओं, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए व्यक्तिगत है. यह हमारी सरकारों के लिए व्यक्तिगत है, और यह हमारे लोगों के लिए व्यक्तिगत है, और मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि हम स्वाभाविक दोस्त हैं, ऐसा इसलिए भी है कि हमें एक-दूसरे की ज़रूरत है. हमें अब आर्थिक, रणनीतिक रूप से एक-दूसरे की जरूरत है और हम मानते हैं कि जब हम एक साथ होते हैं, तो यह दो देशों भारत और अमेरिका का निकट आना ही नहीं बल्कि भविष्य में इसके परिणाम स्वरूप और अधिक संभावनाएं होंगी.”
— भारत एक्सप्रेस
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