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S. Jaishankar: “हर बात के लिए पश्चिमी देशों पर ठीकरा नहीं फोड़ सकते”, जानिए ऐसा क्यों बोले विदेश मंत्री

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोगों में पश्चिमी देशों को लेकर बनी नकारात्मक धारणा पर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों को नकारात्मक रूप से देखने के सिंड्रोम से हमें बाहर निकलना होगा.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर (फोटो फाइल)

विदेश मंत्री एस. जयशंकर (फोटो फाइल)

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोगों में पश्चिमी देशों को लेकर बनी नकारात्मक धारणा पर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों को नकारात्मक रूप से देखने के सिंड्रोम से हमें बाहर निकलना होगा. हर बात को लेकर हम पश्चिमी देशों को दोष नहीं दे सकते हैं. इस मानसिकता को बदलना होगा. ये बातें एस. जयशंकर ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कही.

“हर बात के लिए पश्चिमी देशों पर ठीकरा नहीं फोड़ सकते”

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि एशियाई और अफ्रीकी बाजारों में बड़े पैमाने पर सस्ते उत्पादों की जो बाढ़ दिखाई दे रही है. वह पश्चिमी देशों की वजह से नहीं आई है. उन्होंने कहा कि इस सिंड्रोम से निकलने की जरूरत है कि पश्चिमी देश बुरे हैं. हर बात के लिए उनपर ठीकरा नहीं फोड़ा जा सकता है. अब दुनिया का जो स्वरूप है बहुत जटिल हो गया है. समस्याएं भी पहले से ज्यादा जटिल हो चुकी हैं.

ऐसी सिर्फ अटकलें लगाई जा रही हैं- विदेश मंत्री

एस. जयशंकर ने इस दौरान हालांकि ये भी स्पष्ट किया कि वह पश्चिमी देशों की पैरवी नहीं कर रहे हैं. वहीं जब विदेश मंत्री से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल न होने के बारे में पूछा गया कि क्या जिनपिंग इसलिए सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारत नहीं आए थे क्योंकि वह भारत को ग्लोबल साउथ का लीडर बनते नहीं देखना चाहते हैं. इस सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि लोग सिर्फ ऐसी अटकलें लगा रहे हैं.

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हर स्थिति के लिए पश्चिमी देश जिम्मेदार नहीं- विदेश मंत्री

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि आज जो मुद्दे हैं, वे चंद मिनटों में नहीं बने हैं. ये मुद्दे आज जिस स्वरूप में, इन्हें बनने में डेढ़ से दो दशक लगे हैं. ऐसे कई देश हैं, जिनके बाजारों में सस्ते उत्पादों की बाढ़ आ गई है. जिनकी वजहसे उनके उत्पादों को उस तरह का एक्सपोजर नहीं मिल पाया. इसलिए भी उन देशों में एक तरह से अंदर ही अंदर गुस्सा बढ़ रहा है. ऐसा इसलिए भी किया जा रहा था क्योंकि इन देशों का इस्तेमाल दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए किया जा रहा था. यहां ये भी समझना होगा कि इस स्थिति के लिए पश्चिमी देशों को सिर्फ जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.

-भारत एक्सप्रेस

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