दुनिया के बड़े उद्योगपतियों में शुमार रहे रतन टाटा का निधन हो गया. मुंबई के अस्पताल में 86 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली. वो पिछले कुछ दिनों से बीमार थे. रतन टाटा अपने पीछे बड़ी विरासत छोड़ गए हैं. एक अनुमान के अनुसार टाटा ग्रुप की कुल संपत्ति करीब 165 करोड़ अमेरिकी डॉलर है. रतन टाटा के निधन के बाद सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की है कि उनकी विरासत को कौन संभालेगा. तो आइए जानते हैं कि रतन टाटा के बाद उनकी विरासत को कौन संभालेगा.
रतन टाटा ने अपने जीवन में किसी उत्तराधिकारी की घोषणा नहीं की थी. ऐसे में अब उनके ट्रस्टियों में से किसी एक को अध्यक्ष चुना जाएगा. टाटा समूह के दो मुख्य ट्रस्ट हैं: सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट. इन दोनों ट्रस्टों की टाटा समूह की मूल कंपनी, टाटा संस में करीब 52% हिस्सेदारी है. टाटा संस ही टाटा समूह की कंपनियों का संचालन करती है, जो विमानन से लेकर एफएमसीजी तक के उद्योगों में फैली हुई हैं.
दोनों ट्रस्टों में कुल 13 ट्रस्टी हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं: पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह, ऑटोमोबाइल उद्योग के अनुभवी वेणु श्रीनिवासन, रतन टाटा के सौतेले भाई और ट्रेंट के चेयरमैन नोएल टाटा, व्यवसायी मेहली मिस्त्री, और वकील डेरियस खंबाटा. इसके अलावा, सिटी इंडिया के पूर्व सीईओ परमीत झावेरी और जहांगीर अस्पताल के सीईओ जहांगीर एचसी जहांगीर भी ट्रस्टी के रूप में जुड़े हुए हैं.
टाटा ट्रस्ट के प्रमुख का चुनाव ट्रस्टियों के बहुमत से होता है. विजय सिंह और वेणु श्रीनिवासन दोनों ट्रस्टों के उपाध्यक्ष हैं, लेकिन उनके प्रमुख बनने की संभावना कम है. इस पद के लिए सबसे संभावित नाम 67 वर्षीय नोएल टाटा का है. नोएल टाटा की नियुक्ति से पारसी समुदाय भी संतुष्ट रहेगा, क्योंकि रतन टाटा भी पारसी थे. इस तरह टाटा ट्रस्ट की परंपरा भी कायम रहेगी.
यह भी गौर करने लायक है कि इतिहास में टाटा ट्रस्ट का नेतृत्व हमेशा पारसी समुदाय के लोगों ने ही किया है, चाहे वे सीधे टाटा परिवार से जुड़े हों या नहीं. यदि नोएल टाटा प्रमुख बनते हैं, तो वे सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के 11वें अध्यक्ष और सर रतन टाटा ट्रस्ट के 6ठे अध्यक्ष होंगे.
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नोएल टाटा टाटा समूह से पिछले चार दशक से जुड़े हुए हैं और ट्रेंट, टाइटन, और टाटा स्टील जैसी प्रमुख कंपनियों के बोर्ड में शामिल हैं. उन्हें 2019 में सर रतन टाटा ट्रस्ट का ट्रस्टी और 2022 में सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में शामिल किया गया था.
रतन टाटा के बाद टाटा संस के चेयरमैन पद पर साइरस मिस्त्री को नियुक्त किया गया था, लेकिन उनके हटने के बाद यह जिम्मेदारी एन चंद्रशेखरन ने संभाली. नोएल और रतन टाटा का रिश्ता कभी सार्वजनिक रूप से खास नहीं रहा, लेकिन रतन टाटा के अंतिम दिनों में उनके सौतेले भाई से संबंध अच्छे हो गए थे.
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-भारत एक्सप्रेस
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