सॉफ्ट स्टोन अंडरकट जाली वर्क
उत्तर प्रदेश सरकार शिल्पकलाओं को वैश्विक मंच देने के लिए लगातार अलग-अलग योजनाओं के तहत शिल्पकारों को आगे बढ़ा रही है। इसके तहत योगी सरकार जीआई उत्पादों का वृहद स्तर पर ब्रांडिंग कर रही है. जिससे शिल्प कलाओं के उत्पादकों को नए पंख मिल रहे हैं. इसी में वाराणसी सॉफ्ट स्टोन अंडरकट जाली वर्क जो खत्म होने की स्थिति पर था फिर से जीवित हो उठा है.
क्या है वाराणसी सॉफ्ट स्टोन अंडरकट जाली वर्क
पत्थर को तराश कर बिना किसी जोड़ के आकृति के अंदर दूसरी आकृति फिर उस आकृति के अंदर हूबहू तीसरी आकृति बनाने का काम सॉफ्ट स्टोन अंडरकट जाली वर्क में किया जाता है. यह शिल्प कला वाराणसी के कलाकारों की नायाब कलाकारी है, जिसके लिए वाराणसी विश्व में मशहूर हो रहा है. इस हुनर को योगी सरकार बनने के बाद नई पहचान मिली है. जीआई उत्पाद में शामिल सदियों पुरानी इस कला से कारीगर कमाई न होने के कारण मुंह मोड़ने लगे थे, लेकिन योगी सरकार में इसको फिर से नए पंख मिले है.
10 से 12 करोड़ का बन गया है कारोबार
जीआई एक्सपर्ट पद्मश्री रजनीकांत मिश्रा ने बताया कि यह कला खत्म हो चुकी थी, लेकिन सरकार की नीतियों से इस कला को दोबारा से नया जीवन मिला है और आज यह कारोबार 10 से 12 करोड़ का हो गया है , 500 से 700 कारीगर अब फिर से इस परंपरागत उद्योग में लग गए. शुरुआत में रामनगर के कारीगरों को काशी नरेश के पूर्वजों के द्वारा राज आश्रय मिला था अब लुप्त प्राय हो रही या कला को मोदी योगी सरकार का आश्रय मिला है , जिसके बाद यह कला अब विश्व बाजार में अपनी धाक जमा रही है. यूरोप ,खाड़ी देश ,बुद्धिस्ट देश और अमेरिका के बाजारों मे इसकी काफी माँग है.
बिजली की समस्या के कारण लुप्त हो रही थी कला
स्टेट अवार्ड विजेता द्वारिका प्रसाद का कहना है कि योगी सरकार सैकड़ों साल पुरानी इस कला को नई पहचान दे रही है, एक समय था जब बिजली की समस्या के कारण और बाजार न होने की वजह से कारीगर इस कला से अपने आप को अलग कर रहे थे, लेकिन योगी सरकार की निशुल्क टूलकिट वितरण, स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम ने इस हुनर को दुबारा से निखार दिया है और अब यह देश और विदेश में अपनी एक नई छाप छोड़ रहा है.
-भारत एक्सप्रेस