
दिल्ली हाईकोर्ट ने 22 जनवरी को आत्महत्या करने वाले एक व्यक्ति का वीर्य सुरक्षित निकालने के लिए उस व्यक्ति पर पोस्टमॉर्टम स्पर्म रिट्रीवल (पीएमएसआर) प्रक्रिया अपनाने की अनुमति दे दी. कोर्ट ने इस मामले में सरकार व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट 8 जुलाई को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस सचिन दत्ता ने यह अनुमति मृतक के माता-पिता और बहन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया जिन्होंने उसके वीर्य को पीएमएसआर के माध्यम से संरक्षित करने की मांग की थी जिससे उसके शुक्राणु को आगे वंश बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सके. जस्टिस ने हाल के ही अपने आदेश में कहा कि याचिका में बताई गई परिस्थितियों और याचिकाकर्ताओं की मांग को देखते हुए पीएमएसआर प्रक्रिया तभी प्रभावी होगी जब इसे शीघ्रता से किया जाए. इस दशा में उक्त अनुरोध को स्वीकार किया जाता है. उन्होंने अस्पताल से मानक प्रक्रियाओं के तहत शुक्राणु संरक्षित करने को कहा. साथ ही स्पष्ट किया कि यह अदालत के अंतिम फैसले का अधीन होगा.
याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट के एक हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि था कि उक्त फैसले के अनुसार वीर्य का नमूना भारतीय कानून के तहत मृतक की संपत्ति है. उसे सुरक्षित रखने का निर्देश दिया जाए. संबंधित अस्पताल के वकील ने दलील दी कि उसके पास प्रक्रिया करने के लिए साधन नहीं हैं. तो कोर्ट ने उसे साधन संपन्न अन्य अस्पताल से पीएमएसआर प्रक्रिया करने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया.
-भारत एक्सप्रेस
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