किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल (Jagjit Singh Dallewal) की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का सुप्रीम कोर्ट ने निपटारा कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह प्रदर्शनकारी किसानों को राजमार्ग बाधित न करने के लिए राजी करें. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि लोगों को असुविधा न हो इसके लिए किसानों से बातचीत करें.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि किसान शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि हमने देखा है कि डल्लेवाल को रिहा कर दिया गया और शनिवार को एक साथी प्रदर्शनकारी को अपना आमरण अनशन समाप्त करने के लिए राजी भी किया. किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दे को अदालत ने नोट कर लिया है और लंबित मामले में इस पर विचार किया जा रहा है.
कोर्ट ने डल्लेवाल की ओर से पेश वकील गुनिन्दर कौर गिल से कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में आप शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर सकते है, लेकिन लोगों को असुविधा न पहुचाए. आप सभी जानते हैं कि खनौरी सीमा पंजाब के लिए जीवन रेखा है. हम इस पर टिप्पणी नही कर रहे है कि विरोध सही है या गलत.
बता दें कि किसान नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार के पास बातचीत के लिए 5 दिन का समय है. 6 दिसंबर को कार्यक्रम के अनुसार किसान दिल्ली कुछ करेंगे. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा है कि डल्लेवाल खनौरी बॉर्डर पहुंच गए हैं. जिसके बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान के घेराव करने का फैसला टाल दिया है.
गौरतलब है कि 26 नवंबर को खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन शुरू करने से पहले ही डल्लेवाल को रात को सोते समय पुलिस उठा कर डीएमसी अस्पताल लुधियाना ले गई थी. किसानों के भड़कने के बाद डीआईजी पटियाला रेंज मनदीप सिंह सिद्धू ने सामने आकर कहा था कि डल्लेवाल की सेहत व उनकी उम्र को ध्यान में रखते हुए पुलिस प्रशासन चिंतित था.
-भारत एक्सप्रेस
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