एनजीटी (National Green Tribunal) ने प्रयागराज के रसूलाबाद से संगम तक 8 किलोमीटर के क्षेत्र में 50 नाले द्वारा गंगा नदी में सीवेज बहाये जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सीवेज के प्रवाह को रोकने के लिए प्रभावी कदम नही उठाया गया तो महाकुंभ मेले में आने वाले करोड़ो तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा. एनजीटी 9 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
प्रयागराज में गंगा-यमुना नही के संगम स्थल पर लगने वाले 40 दिवसीय महाकुंभ मेले में दुनियाभर के करीब 40 करोड़ लोगों के पहुचने का अनुमान है. महाकुंभ मेला 14 जनवरी को मकर संक्रांति स्नान के साथ शुरू होगा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि स्नान के साथ समाप्त होगा.
यह याचिका कमलेश सिंह की ओर से दायर की गई है. याचिका में दावा किया गया है कि प्रयागराज के रसूलाबाद से संगम तक 8 किलोमीटर के क्षेत्र में 50 नाले द्वारा गंगा नदी में सीवेज बहा रहे है. एनजीटी इस साल सितंबर में यूपी के मुख्य सचिव के अधीन एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था और उसे 23 नवंबर तक निवारक उपायों के बारे में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था. इससे पहले 29 नवंबर के आदेश में कहा था कि उच्चस्तरीय समिति ऐसी रिपोर्ट दाखिल नही की है और न ही रिपोर्ट दाखिल करने या समय बढ़ाने की मांग करते हुए उससे कोई लिखित अनुरोध प्राप्त हुआ है.
एनजीटी की तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि वाराणसी और प्रयागराज दो ऐसी जगह है, जहां देशभर के तीर्थयात्री आते है. कम से कम इन दो जगहों के गंगा जल की शुद्धता को लेकर कार्य करिए. वाराणसी को लेकर 2021 में और प्रयागराज को लेकर एनजीटी ने 2022 में आदेश पारित किया था. लेकिन एनजीटी के आदेश के का.सभी तक पालन नही किया गया.
-भारत एक्सप्रेस
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